विश्व स्तनपान सप्ताह:निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी: सिविल सर्जन

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  • “स्तनपान के रक्षा की जिम्मेदारी आखिरकार है किसकी” थीम” पर कार्यशाला का आयोजन
  • मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार ,मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया

किशनगंज /प्रतिनिधि

कोरोना संक्रमण के दौर में सभी एहतियात बरत रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को ले लोगों में जागरूकता आयी है। शिशुओं के लिए आधारभूत पोषण में स्तनपान मुख्य रूप से शामिल है। बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी है। माँ के दूध के अलावा छ्ह महीने तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। स्तनपान कराने से बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा होता है और उसे यह सुरक्षा का बोध भी कराता है।


कार्यशाला का आयोजन सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन की अध्यक्षता में


शिशुओं को कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से बुधवार को जिला स्वास्थ्य समिति के प्रांगन में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत कार्यशाला का आयोजन सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन की अध्यक्षता में किया गया| सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। जिसमें बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाव, शिशु मृत्यु दर में कमी, स्तनपान की सही स्थिति , कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान आदि मुद्दे शामिल रहे। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ मुनाजिम , जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम , डॉ देवेन्दर कुमार , जिला कार्यक्रम समन्वयक विश्वजीत कुमार आदि उपस्थित थे ।







निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी: सिविल सर्जन


सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने कार्यशाला में बताया डायरिया व निमोनिया से बचाव में स्तनपान बहुत ही कारगर है। माँ के दूध की महत्ता को समझते स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाते हुए बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तनपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही कराने के लिए बताया जाता है। नवजात शिशु के लिए मां का पहला पीला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है। जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। जब तक बच्चा दूध पीता है, तब तक मां के शरीर में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। उन्होंने बताया, मां का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का गंभीर रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लिवर (यकृत) का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। इसलिए मां का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।






स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का निर्माण कराया जाना है –


प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का निर्माण कराया जाना है। यह कक्ष उस संस्थान के ओपीडी के पास और कंगारू मदर केयर वार्ड के अतिरिक्त होगा । इसके साथ ही विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर गर्भवती और धातृ माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व के बारे में बताएगी और प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुधवार और शुक्रवार को वहां आने वाली सभी 2 वर्ष तक की माताओं से सेविका और आशा इस अभियान में उनसे जुड़ने के लिए कहेंगी। साथ ही आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त माह में होने वाले वीएचएसएनडी में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को निमंत्रित किया जाए। साथ ही, उनके द्वारा बताई गई इनफैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग के अभ्यासों तथा उनके बच्चों के पोषण स्तर में हुए सुधार के आधार पर चिह्नित माताओं की प्रशंसा करें।

स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे

  • अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध
    दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है
    शिशु को रोगों से बचाता है
    शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है






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