कोरोना ने तोड़ी अनानास किसानों की कमर,खेतों में फल तैयार पर कोई खरीददार नहीं

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खोरीबाड़ी /चंदन मंडल

कोरोना वायरस के कहर ने सिलीगुड़ी के निकट खोरीबाड़ी , विधान नगर व बंगाल से सटे बिहार के ठाकुरगंज प्रखंड इलाके के अनानास किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में अनानास तैयार है ,लेकिन खरीददार कोई नहीं है। इसके चलते इन दिनों उक्त इलाकों के किसान काफी परेशान हैं। कुछ दिन और यही स्थिति रही तो सारे तैयार फल खेतों में ही बर्बाद हो जाऐंगे। अनानास की खेती करने वाले किसान हरिलाल गणेश, मनोहर लाल गणेश , मानिक लाल राय आदि किसानों ने बताया कि हमारे खेतों में अनानास फल बिल्कुल तैयार है। लेकिन कोरोना के कारण कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। विधाननगर मंडी से भी कम खरीददार आ रहे हैं और आने के बाद खरीददार कुछ दिन रुकने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं।






जिससे हम किसानों की रातों की नींद हराम हो गई है। खरीददार नहीं मिलने के कारण खेतों की ओर जाने की इच्छा ही नहीं होती है। यदि यही स्थिति कुछ दिन और रही तो हमारे सामने आत्महत्या ही एक रास्ता बच जाएगा। उन्होंने अनानास की खेती पर चर्चा करते हुए बताया कि एक एकड़ में 15 हजार पौधे की रोपाई की जाती है और फल को तैयार करने में प्रति पौधे पर 12 से 14 रुपया खर्च आता है और फल को तैयार होने में 17 से 18 महीने का इंतजार करना पड़ता है। कृषक हरिलाल गणेश बताते है कि मेरे चार एकड़ खेत में लगे अनानास बिल्कुल तैयार है। जो अब ज्यादा तैयार होने के कारण फट भी रहा है। क्या करें कुछ समझ नही आ रहा है। बैंक से कर्ज ले कर खेती की थी,अब क्या होगा भगवान ही मालिक है। वहीं कृषक मानिक लाल राय बताते हैं कि मेरे करीब छः एकड़ जमीन पर अनानास फल तैयार है। इसको बेचें कहां कुछ समझ में नहीं आ रहा है। वहीं इस संबंध में कृषक मनोहर लाल गणेश बताते हैं कि मेरे भी एक एकड़ जमीन में अनानास फल तैयार हैं लेकिन कोई खरीददार नहीं आ रहे हैं जिस वजह से परिवार की काफी दयनीय स्थिति हो गई है।






अगर इसी तरह कुछ दिनों तक चलता रहा तो भूखे मरने की नौबत आ जायेगी। आगे किसानों ने बताया अनानास फल को विधाननगर, सोनापुर के मंडी में फल बेचने के लिए ले जाते थे। जहां से भारत के विभिन्न राज्यों के व्यापारी खरीदारी करते हैं। लेकिन अभी सब कोरोना को लेकर ठप पड़ गया है। किसानों ने बताया अनानास की खेती को बढ़ावा देने के लिए यदि क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगा दिया जाए तो किसानों के सामने ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।साथ ही फूड प्रोसेसिंग प्लांट किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा और क्षेत्र का विकास होगा तथा रोजगार सृजन एवं मजदूरों का पलायन रुकेगा।






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