धर्म :आस्था का केंद्र है बूढ़ी काली मंदिर, मां करती है भक्तों की मुरादे पूरी

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

कालीपुजा पर मुरादे पूरी होने पर सैकड़ों की संख्या में भक्त देते है पाठा की बलि

किशनगंज / अनिर्वाण दास

शहर के लाइन मोहल्ला में स्थित वर्षो पुरानी बुड़ी काली मंदिर लोगो की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।हजारो की संख्या में भक्त इस काली मंदिर में काली पूजा के दिन विधि विधान के साथ माँ का पूजा अर्चना करने आते है।वैसे तो इस मंदिर में प्रत्येक दिन माँ काली की पूजा की जाती है।इस मंदिर में एक ही पुजारी के वंशज द्वारा पूजा पाठ किया जाता है।पुजारी मलय मुखर्जी का कहना है कि मंदिर की स्थापना 1902 में की गई थी।उस समय मंदिर का आकार छोटा हुआ करता था जैसे जैसे समय बीतता गया मंदिर का निर्माण कार्य हुआ साथ ही शिव मंदिर का भी स्थापना हुआ।

वेबसाइट पर बहुत ही सस्ते दर पर अपने दुकान ,प्रतिष्ठान या अन्य व्यवसायिक कार्यों का विज्ञापन देकर अपने बिजनेस को लाखो लोगो तक पहुंचाए ।संपर्क करे :9431267283 

पूजा समिति के सचिव अमित कुमार दास कहते है कि मंदिर में प्रति वर्ष माँ काली की प्रतिमा काली पूजा के दिन स्थापित किया जाता है,वर्ष 2042 तक माँ की प्रतिमा देने वाले भक्तों की सुची तैयार हो चुका है ।इस वर्ष 4 नवंबर को काली पूजा होना तय है।यहाँ भक्तों की माता पर अटूट आस्था है ,भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है इस मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था होने का प्रमाण मिले हैं।ऐसे तो यहाँ सालो भर भक्त मंदिर में माथा टेकने आते है।साथ ही इस मंदिर में बलि प्रथा आज भी कायम है।

पूजा के दिन लगभग 50 से 60 लोगों द्वारा पाठा की बलि पुरोहित द्वारा दी जाती है।इस वर्ष पूजा समिति के अध्यक्ष शक्ति प्रसाद जोरदार,उपाध्यक्ष नबोजित मित्रा ,सचिव अमित कुमार दास,सह सचिव अनिर्वाण दास एवं सुभजीत शेखर , कोषाध्यक्ष राजा दत्ता साथ ही निखिल पाल,सुदीप्त दास, तमाल घोष,समित शेखर, पिंका पाल,सुदीप्ता मुखर्जी, अमित कुमार ( अंकु),समित मजूमदार, पप्पू बनर्जी,कल्याण बोस,मनोज मजूमदार, चंकी,आदि पूजा की तैयारी में जुटी हुई है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया News Lemonchoose के Facebook पेज को Like व Twitter ,Koo,DailyHunt पर Follow करना न भूलें…






आज की अन्य खबरें पढ़ें :






धर्म :आस्था का केंद्र है बूढ़ी काली मंदिर, मां करती है भक्तों की मुरादे पूरी

error: Content is protected !!