पेगासस :उड़ता घोड़ा

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कुमार राहुल

यह उड़ता घोड़ा ,आपको दिख नहीं रहा, लेकिन यह घोड़ा आपकी जासूसी कर रहा है ।मैदानों और पहाड़ों में दौड़ने वाला अश्वमेध का घोड़ा सरपट दौड़ रहा है। कई हिंदू दंत कथाओं में पानी में दौड़ने वाले दरियाई घोड़े का भी जिक्र है। पेगासस ग्रीक दंतकथा में उड़ने वाले घोड़े के नाम से जाना जाता है । इन दिनों पेगासस स्पाइवेयर चर्चा में है ।जिसे इजराइल की एनएसओ नाम की कंपनी ने बनाया है। एडवर्ड स्नोडेन( सीआईए के पूर्व कंप्यूटर विशेषज्ञ) ने 2013 में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के जन निगरानी कार्यक्रम को उजागर किया था।

स्नोडेन ने’ द गार्जियन’ में दिए इंटरव्यू में कहा, कि इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए, कि इस तकनीक से अभी पूरी दुनिया में 50000 लोगों की ही जासूसी हो रही है। भविष्य में 5 करोड़ लोगों की भी जासूसी हो सकती हैं। इनके विस्तार को रोकना जरूरी है ।भविष्य में जासूसी की यह रफ्तार अनुमान से ज्यादा तेज होगी। इसी पेगासस की जासूसी मामले को लेकर लोकसभा का मॉनसून सेशन अभी तक सही ढंग से चल नहीं पा रहा है ।क्योंकि जिन पत्रकारों, नेताओं की जासूसी सरकार द्वारा( इस पेगासस सॉफ्टवेयर ) द्वारा की गई है ,उस पर केंद्रीय मंत्री माकूल जवाब नहीं दे रहे हैं। वर्तमान आईटी मंत्री का जवाब है ,कि देश में जिस तरह की कानूनी और संस्थागत पाबंदियां है ,उसमें किसी भी किस्म का गैर कानूनी सर्विलांस या जासूसी संभव नहीं है। देश के गृहमंत्री कहते हैं ,आप ‘क्रोनोलॉजी'( हिंदी में कॉलक्रम )समझिए ।लोकसभा में हंगामे के बीच असली सवाल गुम हो गए और किसी ने जवाब देना उचित नहीं समझा, कि पेगासस सरकार द्वारा खरीदा गया था या नहीं।






फेसबुक ने 2019 में कैलिफोर्निया कोर्ट में रहस्य खोला, की पेगासस कई देशों में प्रयोग किया जा रहा है। पेगासस, फेसबुक के उनके कई क्लाइंट के फोन की जानकारी ले रहा है ।पेगासस के खिलाफ विदेश में चल रही कानूनी लड़ाई में व्हाट्सएप के साथ फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट भी शामिल है। जबकि फेसबुक के अनुसार पेगासस का प्रयोग भारत भी करता है ।इसे इजरायली कंपनी एनएसओ ने स्वीकार किया है ।उन्होंने माना है, कि वह पेगासस को संप्रभु देशों के खुफिया प्रतिष्ठानों को ही देता है। भारत सरकार ने संसद में हंगामे के बीच जासूसी के आरोपों से इनकार नहीं किया है ।16 जुलाई 2020 के अपने फैसले में कैलिफोर्निया कोर्ट ने फेसबुक द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया है। वेस्टर्न वर्ल्ड के अखबारों ने खुलासा किया है ,कि भारत सरकार अपने कुछ मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों ,विपक्ष के नेताओं, दर्जनभर पत्रकारों और मानवाधिकार वर्करों के फोन इस सॉफ्टवेयर के जरिए टेप कर रही है।

विपक्ष का आरोप है, कि सरकार इस मामले को विदेशी साजिश करार देकर कमजोर साबित करना चाहती है। ऐसा तब कहा जा रहा है, जबकि पेगासस के जरिए, लोगों के खिलाफ जासूसी के मामले दुनिया भर के करीब 50 देशों में हुए हैं ।जिसमे दुबई की राजकुमारी और सुल्तान की पूर्व पत्नी की भी जासूसी हुई है ।अंदेशा है कि दुबई के सुल्तान ने अपनी पूर्व पत्नी की जासूसी करवाई होगी। उन 50 देशों में फ्रांस अकेला देश है ,जिसके सरकारी पेरिस प्रॉसिक्यूटर ने जांच शुरू की है, इसी देश के वित्तीय प्रॉसिक्यूटर ने भारत के साथ की गई 59000 करोड़ की राशि वाले राफेल डील में भी घोटाले की जांच के लिए एक जज को नियुक्त किया है ।वहीं चीनी ऐप्स बंद करने वाली शक्तिशाली सरकार 2019 मैं पेगासस के खुलासे के बाद चुप्पी साध गई ।

50 साल पहले अमेरिका में हुए ऐसे ही ‘वॉटरगेट कांड’ में निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा ।लेकिन भारत की केंद्रीय नेतृत्व जांच तो दूर, आरोप को ही राष्ट्र के खिलाफ साजिश बता रही है ।आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं, कि पेगासस का प्रयोग कर्नाटक में विपक्षी सरकार गिराने में भी हुआ। भारत एक ऐसा देश है ,जहां कोई भी नेता घपले घोटाले का आरोप लगे या कोर्ट में साबित हो जाए, तो भी नैतिक जिम्मेदारी लेकर स्वीकारते तक नहीं है ।जबकि पिछले 10 सालों में फ्रांस के 2 राष्ट्रपतियों को भ्रष्टाचार में सजा दी जा चुकी है। ब्राजील के वर्तमान राष्ट्रपति बोलसोनारो के खिलाफ वहां की सुप्रीम कोर्ट ने भारत से खरीदी गई वैक्सीन में भ्रष्टाचार में जांच के आदेश दिए हैं। केवल बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी ऐसे ही 2013 में पल्ला झाड़ चुकी है ।जब सीआईए के इशारे में डिजिटल कंपनी द्वारा चलाए गए ,’ऑपरेशन प्रिज्म’ में भारत समेत कई देशों की जासूसी को स्नोडेन ने उजागर किया था ।






भारत की कांग्रेस सरकार समेत अन्य देशों में जासूसी के अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपराधियों को दंडित नहीं किया गया। लेकिन कुछ अपवाद उदाहरण भी है ,यह तीन दशक पहले विपक्षी नेता राजीव गांधी के घर पर दो जवानों की निगरानी के मुद्दे पर चंद्रशेखर सरकार गिर गई ।उससे पहले 1988 में टेलीफोन टेपिंग मामले में कर्नाटक की हेगडे सरकार गिरी ।सरकार ने जासूसी के मामलों में सवालों से बचने के लिए ,हथियार पहले ही तैयार कर रखें हैं। गृह मंत्रालय ने 20 दिसंबर 2018 को आदेश पारित किया था कि इसके तहत भारत सरकार की नौ खुफिया एजेंसियां और दिल्ली पुलिस को इंटरनेट व मोबाइल में जासूसी और सेंधमारी की कानूनी इजाजत मिल गई है ।ऐसे में छोटे-छोटे मामले में स्वत: संज्ञान लेने वाली, सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रीय महत्व के इस मामले को सुनवाई के लायक भी नहीं समझा।

वही संघ के पूर्व प्रचारक के.एन गोविंदाचार्य ने व्हाट्सएप, NSO व सभी गुनहगारों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट से निराशा मिलने के बाद गोविंदाचार्य ने आईटी मंत्रालय की संसदीय समिति के दरवाजे पर दस्तक दी है। कांग्रेसी सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली कमेटी जिसमें सभी पार्टियों के सांसद हैं। 14 नवंबर 2019 को दिए गए, लिखित प्रतिवेदन और व्यक्तिगत स्तर पर विस्तृत प्रेजेंटेशन के बावजूद, संसदीय समिति ने भी इस मामले पर चुप्पी साध ली।

सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों ने प्राइवेसी अधिकार पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। लेकिन 4 सालों से उस पर कानून नहीं बना ।सरकार ,संसद और सुप्रीम कोर्ट समेत सभी संस्थाएं अपनी संवैधानिक भूमिका निर्वहन में विफल रही है ।लेकिन देश की अखंडता और एकता के पेगासस मामले में निर्भीक और सशक्त कार्रवाई नितांत आवश्यक है।

ये लेखक के निजी विचार है ।






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