धर्म :भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा की तैयारी जोरों पर ,श्रद्धालुओ में उत्साह

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धर्म /डेस्क

एक वर्ष के लंबे इंतजार के बाद वो घड़ी नजदीक आ रही है जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी। मालूम हो कि आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि यानी 12 जुलाई 2021 को होने वाली पवित्र रथयात्रा महोत्सव की तैयारी जोरों पर है।रथयात्रा की यह पावन परंपरा राजा इंद्रद्युम्न के शासनकाल से चली आ रही है।बता दे कि भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के लिए हर साल 3 रथ बनाए जाते हैं। इन रथों में पहिये से लेकर शिखर के ध्वजदंड तक 34 अलग-अलग हिस्से होते हैं। तीनों रथों के निर्माण में 4000 लकड़ी के हिस्से तैयार किए जाते हैं। इसमें 8-8 फीट के 865 लकड़ी के मोटे तनों यानी 13000 क्यूबिक फीट लकड़ी का इस्तेमाल होता है। यह लकड़ी नयागढ़, खुर्दा, बौध इलाके के वनों से 1000 पेड़ों को काटकर जुटाई जाती है। हालांकि इसके लिए इससे दोगुने पौधे भी लगाए जाते हैं।






सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ (लकड़ियों) से बनाए जाते हैं, जिसे ‘दारु’ कहते हैं। इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है। इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है।पुरी रथयात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ निर्मित किए जाते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। इसे उनके रंग और ऊंचाई से पहचाना जाता है।भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।






रथयात्रा को लेकर बीते साल की तरह इस साल भी कोरोना महामारी की वजह से कई प्रतिबंध लगाए गए है और बिना भक्तो के ही इस बार की रथयात्रा निकलेगी ।लेकिन सरकार द्वारा रथयात्रा को देखने के लिए कई अन्य उपाय किए गए है और इसका सीधा प्रसारण टीवी पर किया जाएगा।

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तस्वीर साभार :सोशल मीडिया

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