डेल्टा प्लस,आपका स्वागत है !

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कुमार राहुल

‘स्वागत नहीं करोगे हमारा’ सलमान खान के ( दबंग 2) के डायलॉग को लोगों ने अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया है और लोग अब’ डेल्टा प्लस’ के स्वागत की तैयारी में जुटे है। देश के अधिकांश बाजारों में लोग भीड़ के साथ बेखौफ घूम रहे हैं। ऐसा पहली लहर के बाद भी हुआ था, और दूसरी लहर की तबाही को लोग भूले नहीं होंगे । अन्य कोरोनावायरस (अल्फा, बीटा, गामा) से 60% ज्यादा संक्रामक ‘डेल्टा प्लस’ के लगभग 50 मामले देश के 12 राज्यों में जिनोम सीक्वेंसिंग से पहचाने गए हैं ।जिनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 20 केस मिले हैं ।देश में डेल्टा प्लस से मौतों की संख्या अभी काफी कम है, या फिर बिना टेस्ट के ही उनकी मृत्यु हो गई है, यह बताना मुश्किल है।






जिनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट की कीमत ₹10000 प्रति टेस्ट है। भारत ने इस साल जनवरी से अब तक करीब 2 करोड कोरोना पॉजिटिव मामले के मुकाबले यह जांच केवल 40000 (0.21%) हुई है। इसलिए वास्तव में कितने मामले डेलटा प्लस के है, यह कहना मुश्किल है ।स्वीडन की कोरोलिनसका इंस्टीट्यूट ने सभी वेरिएंट पहचानने के लिए सस्ता टेस्ट विकसित किया है, जिसकी कीमत ₹700 है। जो सभी देशों, यानी भारत को भी उपलब्ध नहीं हो सका है। चुकी वायरस का कारगर उपचार नहीं है। लिहाजा सामाजिक दूरी ही निदान है।






ध्यान देने वाली बात यह है, कि अब तक हम लोग दूसरी लहर से भी बाहर नहीं आए हैं 4 जुलाई 2021 को यह मामला 43071 पाए गए हैं पिछले 5 दिनों से
मामले रोज घट बढ़ रहे हैं । केरल सहित छह राज्यों में अब कोरोनावायरस मामले बढ़ने शुरू हो चुके हैं । डेल्टा प्लस अब 98 देशों में पहुंच चुका है ।मलेशिया ने तो अपने देश में लॉकडाउन भी लगा दिया है ।अमेरिका जैसे विकसित और हम से लगभग एक चौथाई आबादी वाले देश में डेल्टा वैरीअंट के मामले हर दो हफ्ते में दोगुने हो रहे हैं। अब अमेरिका में नए केस में इस वैरीअंट की हिस्सेदारी 20% तक पहुंच गई है। अमेरिका की धीमी वैक्सीनेशन की रफ्तार और बढ़ते डेल्टा प्लस के केस ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है ।

क्योंकि कोरोना की नई लहर सामने अभी आती दिख रही है ।रिसर्च यह बताता है कि डेल्टा प्लस अन्य कोरोना वायरसो की तुलना में लंगस से आसानी से जुड़ जाता है। और तेजी से फैलता है ।यानी डेल्टा प्लस में मारक क्षमता अधिक है। अब सवाल यह है, कि भारत के लोग बेपरवाह हो गए ,तो सरकार क्या कर रही है ।सरकार फर्जीवाड़ा कर रही है ? आंकड़ों के मुताबिक भारत में 35.12.21,306 करोड़ टीके लगे, जबकि अमेरिका में 32.33 करोड टीके लगे हैं। देश में करीब साढे 94 करोड लोगों को लगना है टीका ।जुलाई में टीकाकरण बढ़ने की उम्मीद नहीं है। 12 करोड से कम डोज लगने की संभावना है ।देश के काफी टीकाकरण केंद्र बंद हो चुके हैं। क्योंकि केंद्र सरकार टीके की सप्लाई नहीं कर पा रही है। आंकड़ों के फर्जीवाड़े का उदाहरण दिया है ,कि एक आधार नंबर पर 16 टीके, वह भी उन लोगों को, जो जीवन में कभी टीका स्थान तो छोड़िए , उस राज्य मे आज तक नहीं गए ।कई सरकारों ने गलती मानी है ।






लेकिन बलि का बकरा बना छोटा कर्मचारी।बड़ों को कोरोनावायरस से इम्यूनिटी भले ना हो, फर्जीवाड़ा करने का पर जरूर है। देश में कोई इसकी चर्चा करें ,तो वह देशद्रोही ।और विदेशी बड़ी वैज्ञानिक संस्था या मीडिया यह हकीकत दिखाए तो टूल किट का परिणाम ।कोरोना के दौरान प्रति एक लाख आबादी पर यूपी बिहार और गुजरात में मौतों की संख्या क्रमशः 10 ,9.1 और 15 है ,जबकि कर्नाटक में 53 और गोवा में 198 ,और राष्ट्रीय औसत 32 है। जबकि यूपी में प्रति एक लाख आबादी में केवल 37 डॉक्टर है, गुजरात में 101, जबकि कर्नाटक ,गोवा में क्रमश 153 ,260 है। जबकि दूसरी लहर के दौरान बिहार सरकार नए डॉक्टरों को ढूंढ रही थी। पश्चिम बंगाल में आप कोई आंकड़ा जुटाने जा नहीं सकते वहां ममता दीदी के गुंडे आपको जिंदा वापस आने नहीं देंगे। जबकि डब्ल्यूएचओ के norms के अनुसार प्रति एक हजार आबादी में एक डॉक्टर होना चाहिए। 2018 की एक जनगणना रिपोर्ट के अनुसार गोवा में शत-प्रतिशत मौतों का प्रमाण पत्र जारी होता है। लेकिन यूपी में मात्र 6% ,इस मामले में बिहार, यूपी का भाई ही है ।सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी सीआरएस (जो जन्म और मृत्यु के आंकड़ों का रिकॉर्ड रखती है) ने खुलासा किया है ,कि बिहार में इस साल 5 महीने में 2.15 लाख लोगों की मौत हुई, जो कि पिछली बार से 82500 अधिक है। जबकि सरकारी आंकड़ा कोरोना से हुईं मौत का, 9559 है।तो बड़ा सवाल यह है कि क्या बाकी जो मौते हुई है वो नॉर्मल मृत्यु थी?






आज भी अगर केंद्र और राज्य सरकार सही आंकड़ों के अनुसार अपनी योजनाएं बनाएं ,तो आने वाली तीसरी लहर और डेल्टा प्लस पर प्रभावी काबू
पाया जा सकता है । लेकिन सरकारेे जानती है, संसाधन बढ़ाना, मुश्किल प्रयास होता है ।जो असंवेदनशील सिस्टम को भाता नहीं है ।इसलिए सत्य छिपाना सत्ता वर्ग का एक कारगर उपाय है ।महामारी की अब तक की दो लहरों से समाज का हर तबका प्रभावित हुआ है। लेकिन केंद्र सरकार ,जन कल्याण के लिए घोषित पैकेज में जिम्मेदारी से दूर भागती नजर आ रही है। 6.29 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में लोगों के अकाउंट में अच्छी रकम डालने के बजाय सरकार ने आसान लोन देने की घोषणा की है ।यानी लोन लेकर आपको तो बाजार जाना ही होगा, बाजार में बेकाबू भीड़ होगी, और डेल्टा प्लस भी ।यानी लोन नाम मात्र के लोग ही लेंगे। आर्थिक पैकेज में कुल स्वास्थ्य आवंटन मात्र 15000 करोड रुपए हैं ,पूरे देश के लिए । यानी पैकेज का 2.4 प्रतिशत ।क्या इसे विशेष ध्यान देना कहेंगे ?शायद नहीं । ऐसे में हम आंकड़ों के जंजाल से निकलकर सीधे सपाट सत्य का सामना करें ,नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को जो झटका लगा, उस से अब तक उबर नहीं पाए हैं। उस पर पिछले साल के लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी ।रही सही कसर दूसरी लहर ने पूरी कर दी ।लोगों को कोरोना लहर के बीच में भी काम पर निकलना ही पड़ेगा ।क्योंकि सरकार ने लोगों की आय बढ़ाने के बजाय ,करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया है ।






जबकि कोरोना महामारी को बीच सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 5.5 लाख करोड़ कमा लिए। मई 2021 दूसरी लहर के बीच में जीएसटी कलेक्शन 1लाख 40 हजार करोड़ रहा ।फिर भी सरकार अपने जेब से पैसा निकालने के बजाय ,लोन देकर पल्ला झाड़ना चाहती हैं ।जबकि नोबेल से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बैनर्जी मानते हैं ,की डिमांड बढ़ाने और रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार लोगों को लोन नहीं, पैसा दे ।इसके लिए सरकार को नए नोट छापने चाहिए ।थोड़ी महंगाई होगी, लेकिन उससे डरने की कोई बात नहीं है ।क्योंकि अमेरिका और यूरोप के कई देश भी ऐसा कर स्थिति को काबू में लाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार ऐसे अर्थशास्त्रियों की बात नहीं सुनती है ,क्योंकि सरकार आपदा को अवसर में बनाने की कोशिश में है ,और पैसा कमा रही है। इतनी निराशा के बीच अच्छी खबर यह है, कि अगस्त तक 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए टीका आ सकता है।जायडस कैडीला की वैक्सीन की ट्रायल जुलाई तक पूरी होगी। दूसरी अच्छी खबर यह है कि जिस भी देश में 20% से अधिक आबादी को सिंगल टीका भी लगा वहां अगली लहर की संभावना कम है ,लेकिन ब्राजील का उदाहरण खतरे की घंटी है ।जहां 30% आबादी को पहली डोज लगने के बावजूद की चौथी लहर बरकरार है ।मतलब साफ है, कि सरकार से उम्मीदें बेकार है, आपकी जिंदगी, आपके हाथ है।

अभी से फिक्र कर ना’दा ,
मुसीबत आने वाली है,
तेरी बर्बादियों के मसवरे होते हैं, आसमानों में,
ना संभले तो मिट जाओगे ,ए हिंदुस्तान वालों,
तुम्हारी दास्तां तक ना होगी दस्तानों में।

उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार है ।




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डेल्टा प्लस,आपका स्वागत है !

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