बंगाल हिंसा पर मोदी का मौन और बीजेपी कार्यकर्ताओं का प्रायश्चित

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राजेश दुबे

पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद से ही हत्या , लूट,पलायन का दौर जारी है ।बंगाल में राजनैतिक हिंसा का पुराना इतिहास रहा है ।टीएमसी से पूर्व जब लेफ्ट सत्ता में थी ,उस समय भी अन्य पार्टियों का बंगाल में कार्य करना काफी कठिन होता था ।खुद वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कई बार लेफ्ट कार्यकर्ताओ के कोपभजन का शिकार होना पड़ा था ।लेफ्ट के साथ कठिन संघर्ष के बाद ममता बनर्जी सत्ता तक पहुंची और उन्होने भी लेफ्ट के ढर्रे पर ही काम करना शुरू कर दिया । ममता बनर्जी ने बंगाल में क्लबों के जरिए गुंडागर्दी सहित अन्य हथकंडों को अपना कर सत्ता पर मजबूत पकड़ कायम किया ।ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हिंसक घटनाओं ने जोर पकड़ा और अब तो राजनैतिक विरोधियों की हत्या आम बात हो चुकी है।

राजनैतिक विरोध की वजह से आए दिन बंगाल में बीजेपी समर्थकों की हत्या हो रही है।मीडिया रिपोर्ट पर अगर गौर करे तो 2019 से 2020 तक बंगाल में 135 से अधिक बीजेपी समर्थकों की हत्या कर दी गई । 2021 में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद अभी तक 3 दर्जन से अधिक बीजेपी समर्थकों की हत्या हो चुकी है ।बहन ,बेटियो के साथ दुष्कर्म किया गया ,दुकानों , घरों में लूट की सैकड़ों घटनाएं बीते दो महीनो में घटी ।मौत के भय से बीजेपी समर्थक नेता और कार्यकर्ता अपने परिवार के साथ घर छोड़ कर असम में शरण लेने को मजबुर है। इन लोगो की गलती सिर्फ इतनी है कि इन्होने विधान सभा चुनाव में बीजेपी को अपना वोट दिया ।लोकतंत्र में आप किस दल को अपना समर्थन देते है वो आप पर निर्भर करता है ।लेकिन सत्ता धारी तृणमूल कांग्रेस को यह नागवार गुजरा की कोई व्यक्ति उनके शासन काल में बिना उनकी मर्जी के किसी अन्य पार्टी को अपना समर्थन कैसे दे सकता है ।






टीएमसी पार्टी ने चुनाव जीतने के बाद बंगाल में ऐसा डर का माहौल पैदा किया है कि चुनाव से पूर्व जो लोग बीजेपी में शामिल हुए थे वो अपनी गलती स्वीकार करते हुए दुबारा टीएमसी में शामिल होने के लिए गिड़गिड़ा रहे है ।बीजेपी के कथित समर्थक अपनी जान की भीख मांगते हुए अपनी गलती के लिए सर मुड़वा रहे है तो कहीं टीएमसी कार्यालय के सामने धरना दे रहे है कि उन्होने बीजेपी में शामिल होकर गलती किया था, माफ़ करके दुबारा पार्टी में शामिल कर लिया जाए, जिससे कि उनकी बहन बेटियां सुरक्षित रहे । बीजेपी को समर्थन देने के लिए सर मुड़वा कर प्रायश्चित किया जा रहा है ।टीएमसी के लोग उन्हे गंगा जल से शुद्ध कर पार्टी में शामिल करवा रहे है ।सोशल मीडिया पर बंगाल से जुड़ी जो तस्वीर सामने आ रही है वो सत्ता की कारगुज़ारियों का जीता जागता सबूत है ।खुद राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ कह रहे है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसी हिंसा उन्होने पहले नहीं देखी । डर का ऐसा माहौल बंगाल में बना दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की जज इंद्रा बनर्जी ने उस पीठ से खुद को अलग कर लिया जो पीठ बंगाल हिंसा से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी ।

राज्य की सीएम ममता बनर्जी को इन घटनाओं से कोई मतलब नहीं है ,हर घटना के बाद उनका रटा रटाया जवाब आता है कि मामला राजनीति से प्रेरित है , वो चुनाव जितने के पूर्व ही यह कह चुकी थी कि 2 मई के बाद सुरक्षा बलो के जवान वापस चले जाएंगे तब देखूंगी की कौन बचाता है और उन्होने जो कहा था वहीं हो रहा है ।लेकिन सवाल उठता है की जिस बीजेपी को जिताने के लिए इतने लोगो ने जान दिया ,घर से बेघर हुए वो बीजेपी क्या कर रही है ।केंद्र में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता में है , पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ ने खुले शब्दों में बंगाल में जारी हिंसा को लेकर ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया है ,श्री धनखड़ ने गृह मंत्री श्री अमित शाह को हिंसा से जुड़ी रिपोर्ट भी सौंपी है ,परंतु बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व हर दिन होने वाली हत्याओं की रिपोर्ट ही एकत्रित करने में जुटा हुआ है ।केंद्रीय टीम को बंगाल भेज कर केंद्र रिपोर्ट तैयार करवा रही है दूसरी तरफ हर दिन एक नया मामला सामने आ जाता है ।






आखिर केंद्र सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वो बंगाल सरकार पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। बीजेपी को जिन लोगो ने 3 सीट से 77 सीट तक पहुंचा दिया क्या उनके जान माल की रक्षा की जवाबदेही बीजेपी नेतृत्व की नहीं है ।सत्ता की महक में केंद्र को बंगाल के लोगो की दुर्दशा आज नहीं दिख रही है । 56″ का मजबूत प्रधानमंत्री अपने कार्यकर्ताओं की मौत पर एक शब्द तक नहीं कहता ।

60 साल की महिला का दुष्कर्म उसके पोते के सामने हो जाता है ,नाबालिग युवती के साथ मुर्शिदाबाद में गैंग रैप की वीभत्स घटना होती है ,जो प्रधानमंत्री  अपने चुनावी भाषणों में टोला बाजों और सिंडीकेट को जेल भेजने की बात कहते थे वो अब खून रोती आंखो वाली मां के लिए सांत्वना के एक शब्द नहीं बोल रहे है । हिंसा पीड़ितो को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है ।केंद्र सरकार चाहे तो बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगा सकती है ,जिसके पर्याप्त कारण है ।बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व अगर समय रहते बंगाल के कार्यकर्ताओ की सुधि नहीं लेता तो जिस तरह 77 सीट तक पहुंचने में 40 से अधिक वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा पुनः बंगाल में बीजेपी गर्त में चली जाएगी और इसकी पूरी जवाबदेही पार्टी की होगी क्योंकि आज वो अपने समर्थकों को सुरक्षित रखने में पूरी तरह नाकाम है ।






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