किशनगंज :व्यापार मंडल सदस्य मार्केट निर्माण की जांच को लेकर गोलबंद,न्यायालय में दर्ज करवाया गया मुकदमा 

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किशनगंज /अब्दुल करीम 


व्यापार मंडल सहयोग समिति लिमिटेड, किशनगंज  दिनाजपुर रोड में अवैध रुप से बन रहे मार्केट काम्पलेक्स का विरोध दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। किसान व व्यापार मंडल के सदस्य गण प्रखर हो दुकान निर्माण कार्य के विरोध में एकजुट होकर मैनेजर व प्रबंधन कमिटी की गलत नीतियों का विरोध कर रहे हैं।व्यापार मंडल में हो रहा निर्माण कार्य के खिलाफ सुभाष प्रसाद साहा के आवेदन पर कार्रवाई करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी ने अविलंब निर्माण कार्य पर रोक लगाई और मैनेजर को उपस्थित हो स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया है ।

व्यापार मंडल के सदस्यों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा की आदेश के बावजूद निर्माण कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई की सम्भावना है, दलाल के माध्यम से दुकान का निर्माण किया जा रहा था और दलाल ही दुकान बुक करने के नाम पर लाखों की उगाही कर रहे थे, मैनेजर निर्माण कार्य किसी एजेन्सी से नहीं करवा कर दलाल से सेटिंग कर निजी लाभ के लिए कमिटी के सदस्य के भाई से करवा रहे हैं, लाखों का गोदाम हजारो में बेच दिया और लाखों की बंदरबांट आपस में कर लिया । व्यापार मंडल के सदस्य व अधिवक्ता धर्म चन्द बैद ने मामले को लेकर बुलंद आवाज़ उठाया है और पूरा मामला कोर्ट तक आ पहूँचा है, मैनेजर व अन्य के खिलाफ अधिवक्ता ने अपराधिक मुकदमा दर्ज किया है, सदस्यों को विश्वास है कि दोषी को सजा होगी, मैनेजर व प्रबंधन कमिटी के सदस्य के प्रति सदस्यों का गुस्सा चरम पर था ।






सदस्यों ने कहा निर्माण कार्य पर रोक लगने से सदस्यों में उम्मीद जगी है कि व्यापार मंडल के लुटेरे अब नहीं बचेगे, मैनेजर का दलाल की पोल खुल गई है, दुध का दुध पानी का पानी सब के सामने आने का वक्त आ गया है, देखना है कि दलाल आदेश का पालन कर निर्माण कार्य रोकता है या नहीं, व्यापार मंडल के आजीवन सदस्य सह वरीय अधिवक्ता आनन्द प्रसाद साहा ने कहा कि बिहार कोपरेटिव सोसायटी एक्ट,1935 की धारा 35 के अनुसार रजिस्टर को स्वयं या समाहृता के अनुरोध पर या एक तिहाई सदस्यों के आवेदन पर लिखित आदेश जारी कर जांच करना है ।

गोदाम के बिक्री पर कानूनविद् ने जानकारी दी कि धारा 57 जे मैनर आफ सेल के बारे में बताता है कि सार्वजनिक नीलामी कर सम्पत्ति बिक्री के प्रावधान है, तथा धारा 57 ओ व्यापार मंडल के अधिकारीयों व सदस्यों व रिस्तेदारो को व्यापार मंडल के सम्पत्ति को खरीदने से प्रतिबंध लगाता है,नियम कानून को ताक पर रख व्यापार मंडल के सम्पत्ति को निजी की तरह से बंदरबांट करने वाले कानून के शिकंजे में फंसते दिख रहे हैं।






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