विशेष:विदेश में रहकर बच्चों के भविष्य संवारने में जुटे बिहार वासी, जर्मनी ,यूके से देंगे बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा

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नवादा /रामजी प्रसाद एवं कुमार विश्वास

नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए अब विदेश में रह रहे बिहार के लोग भी मदद के लिए आगे अा रहे हैं।

नवादा के मेसकौर प्रखंड के पूर्णा डीह गांव में बीते दिनों बुनियादी शिक्षा केंद्र का शुभारंभ हुआ था। बता दे कि इस केंद्र में डिजिटल माध्यम से बच्चो की पढ़ाई कराई जाएगी। कौशल्या फाउंडेशन नामक एक संस्था इस केंद्र का संचालन करेगी जिसमें जर्मनी, यूके में रह रहे बिहार वासी भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देंगे।

विदेशों में रह रहे बिहार वासी का अपने देश शहर और गांव से लगाव कम नहीं हुआ है, यही कारण है की अब अपने मिट्टी के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने के लिए जर्मनी, यूके में रहने वाले नवादा वासियों ने ऑनलाइन शिक्षा देने की व्यवस्था की है। छोटे-छोटे बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी।






वही 10वीं 12वीं पास छात्र-छात्राओं की कैरियर काउंसलिंग भी की जाएगी । मेसकौर प्रखंड के पूर्णाडीह गांव में खुले केंद्र का संचालन ग्रामीणों के सहयोग से किया जाएगा।यहां एक स्मार्ट टीवी लगाई गई है इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है, डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की जा रही है। केंद्र शुभारंभ के अवसर पर डिजिटल माध्यम से बापू की जीवनी के बारे में दिखाया गया चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।जिसमें 40 बच्चों ने भाग लिया जिसमें प्रथम पुरुस्कार रजनी कुमारी द्वितीय पुरस्कार अमन कुमार और तृतीय पुरस्कार अंकित कुमार को दिया गया।

विक्रम कुमार और खुशबू कुमारी को संता बना पुरस्कार दिया गया। बता दें कि बुनियादी शिक्षा केंद्र में प्रतिदिन 4 घंटे क्लास चलेगा । महीने में एक बार बिहार पर्यटन नीति ग्रुप से जुड़े जर्मनी ,यूके में रहने वाले बिहार वासी शिक्षा और कैरियर से जुड़ी अहम जानकारी देंगे वहीं संस्था के रोशन कुमार प्रतिदिन गांव जाकर बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ आएंगे।

इस कार्य में गांव में ही रह रही है स्नातक पास सोनी देवी की भी मदद ली जाएगी उन्हें डिजिटल तकनीकों के बारे में संस्था प्रशिक्षित करेगी। बताते चलें की प्रणाली गांव की पूरी आबादी अनुसूचित वर्ग की है ।जहां अधिकांश परिवार दैनिक मजदूरी का भरण-पोषण करते हैं बच्चों की शिक्षा दीक्षा को लेकर ग्रामीणों ने काफी सहयोग किया ।किसी ने अपना कमरा उपलब्ध कराया तो किसी ने बच्चों के बैठने के लिए दरी की व्यवस्था की है वहीं किसी ने कमरे के दरवाजे के मरम्मत कराई, यहां के लोगों का मानना है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तो वह अपने भविष्य को संवार सकेंगे।

कौशल्या फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी कौशलेंद्र ने बताया कि शिक्षा से ही अज्ञानता रूपी अंधकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है वैसे सुदूर गांव जहां सुविधाओं का अभाव है वहां तक आधुनिक तकनीकी से डिजिटल शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य है ताकि हर कोई अपनी आंखों में समुद्र बिहार का सपना संजो सके।






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