किशनगंज /प्रतिनिधि
“कौन कहता है आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता तबियत से इक़ पत्थर तो उछालो यारो”
इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ किया है शिक्षिका कुमारी निधि ने। जब निधि ने विद्यालय में योगदान दिया था उस समय विद्यालय के नाम पर निधि को एक जमीन का टुकड़ा तक नहीं मिला था बिना किताब बिना कॉपियों की निधि ने केवल अपनी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को पठन-पाठन से जोड़े रखा।

नया प्राथमिक विद्यालय सुहागी के अभिभावक बताते हैं कि निधि ने जमीन की रजिस्ट्री करवाई इनके आने से पहले यह विद्यालय पिछले सात वर्षों से खेतों में चल रहा था फिर इनके द्वारा जमीन का निबंध करवाया गया और भवन निर्माण का कार्य करवाया गया। और आज आलम यह है कि विद्यालय की व्यवस्था देखते ही बनती है जहां चेतना सत्र में सभी बच्चे यूनिफॉर्म में आते हैं, पीने के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है, सुलभ और स्वच्छ शौचालय की व्यवस्था है, सभी कक्षाएं आकर्षण बनी हुई हैं।

इतना ही नहीं विद्यालय में आने वाले पहली कक्षा के बच्चों के लिए आकर्षक रंग-बिरंगे कुर्सियां लगाई हुई हैं, खेल सामग्री उपलब्ध है, विद्यालय की दीवारों को आकर्षक चित्रों से पेंट किया गया है ताकि बच्चों को एक सहज वातावरण सीखने सिखाने की क्रम में उपलब्ध हो। नवाचार के माध्यम से निधि अपने कक्षा कक्ष में पठन-पाठन का कार्य करती है। बच्चे निधि से बहुत ही आकर्षित होते हैं।

हालांकि नया प्राथमिक विद्यालय सुहागी में पांचवी तक ही कक्षाएं चलती हैं लेकिन प्राथमिक विद्यालय होने के बाद भी लाइब्रेरी की व्यवस्था है। इस विद्यालय की लाइब्रेरी में लगभग दो हज़ार पुस्तकें रखी है। भूमिहीन विद्यालय से लेकर एक आदर्श विद्यालय तक का सफर निधि ने बहुत ही संघर्षों के साथ तय किया है और आज स्थिति यह है कि अगल-बगल के निजी विद्यालय के बच्चों को भी प्राथमिक विद्यालय सुहागी में नामांकन करवातें हैं।