संपादकीय :’ये तेरा घर ,ये मेरा घर ‘

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कुमार राहुल

शीर्षक कई दशकों पहले आई फिल्म ,’साथ साथ ‘के गाने ‘ ये तेरा घर ,यह तेरा घर ‘ किसी को देखना हो गर, तो पहले आ के मांग ले, मेरी नजर तेरी नजर ,से प्रेरित है। इसे गाया जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने था। फिल्म बनाते वक्त फिल्मकार, गीतकार ने कभी नहीं सोचा होगा, कि यह गाना 21वीं सदी के तीसरे दशक  के वर्तमान स्थिति में इतना फिट बैठेगा। जब विकराल होती जनसंख्या वृद्धि पर कई राज्य सरकारे कानून ला रही है, तो सभी पार्टियों को अपने -अपने वोट बैंक की चिंता सताने लगी है ।लेकिन कोई भारत की नजर से नहीं देख रहा है, कि भारत रूपी जो घर है, उसमें लोग काफी बढ़ गए हैं, सभी के लिए राशन ,रोजगार की काफी कमी महसूस होने लगी है। सभी पार्टियां अपने-अपने चश्मे से जनसंख्या कानून को देख रही है। समाजवादी पार्टी, यूपी सरकार की प्रस्तावित जनसंख्या कंट्रोल बिल के ड्राफ्ट को  चुनावी प्रोपेगेंडा मान रही है। जबकि कांग्रेस पार्टी के सलमान खुर्शीद कह रहे है,कि सरकार यह बताएं, कि उनके मंत्रियों के कितने कानूनी और गैरकानूनी बच्चे हैं। यूपी के संभल से एमपी सफीक उर रहमान ने कहा है, कि सरकार को शादी ही बैन कर देना चाहिए ।सरकार अगर पापुलेशन कंट्रोल करना चाहती है तो, यह भी तर्क दिया जा रहा है, कि चाइना अब तीन बच्चों की पॉलिसी पर काम कर रही है ।जबकि सच्चाई यह है, कि चाइना 40 साल पहले से सिंगल चाइल्ड पॉलिसी पर चल रही थी। अब जबकि उनकी अधिकांश आबादी बूढ़ी हो चली है, तो अधिक बच्चों की पॉलिसी पर काम करना शुरू किया है। जनसंख्या नियंत्रण कानून की कवायद के बीच पॉपुलेशन फाउंडेशन के ज्वाइंट डायरेक्टर आलोक बाजपेई के मुताबिक प्रजनन दर का सीधा संबंध धर्म से नहीं, बल्कि शिक्षा, सामाजिक ,आर्थिक स्थिति ,स्वास्थ्य सुविधा से है। तथ्य यह भी सामने आए हैं, कि देश में आबादी बढ़ने की रफ्तार घटी है। ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्यों में भी प्रजनन दर कम हुई है। 96% मुस्लिम आबादी वाले लक्ष्यदीप में प्रजनन दर 1.4% और 68% मुस्लिम आबादी वाले जम्मू एंड कश्मीर में प्रजनन दर 1.4% , 34% मुस्लिम आबादी वाले असम में प्रजनन दर 1.7% ,जबकि 20% मुस्लिम आबादी वाले यूपी में प्रजनन दर 2.4% है, जबकि प्रजनन दर की राष्ट्रीय औसत 1.8% है नेशनल फैमिली सर्वे के अनुसार साउथ इंडिया के 13 बड़े राज्यों में फर्टिलिटी रेट 2 %से कम है, इसलिए इसमें आबादी का वर्तमान स्तर घट सकता है। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में फर्टिलिटी रेट 2 से कम है। आसाम और यूपी के जनसंख्या कानून पर जो हो हल्ला मचा है, उसकी सख्ती और रियायतओं की बात होनी भी जरूरी है ।






रिआयतें नंबर 1. जो कर्मचारी नसबंदी करेंगे ,उन्हें दो स्पेशल इंक्रीमेंट मिलेगा।2. नसबंदी कराने पर बिजली पानी के बिलों में भी रियायत मिलेगी ।3 .सरकारी अफसर, कर्मचारी को होम लोन सस्ता मिलेगा और हाउसिंग बोर्ड के मकान में सब्सिडी मिलेगी। 4.नेशनल पेंशन स्कीम में 3% अतिरिक्त राशि सरकार जमा कराएगी ।5 .नसबंदी कराने वाले कर्मचारियों को प्रमोशन में प्राथमिकता दी जाएगी। 6.गरीबी रेखा से नीचे के दंपति एक बच्चे के बाद नसबंदी कराएं तो,  एक लड़के पर 80000 नकद और एक लड़की पर एक लाख रुपया मिलेगा.

जनसंख्या कानून की  सख्तिया :


1. नीति लागू होने के 1 साल बाद तीसरी संतान हुई तो राज्य सरकार के अफसरों कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।2. पंचायत और नगर निकाय के प्रतिनिधियों का निर्वाचन रद्द किया जाएगा।3. सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।4. सभी सरकारी सुविधा वापस ली जाएगी,5. राशन कार्ड पर सिर्फ 4 लोगों को एक साथ राशन मिलेगा !बिहार सरकार, नगर पालिका, नगर निगम प्रतिनिधि चुनाव के लिए 2 बच्चों के लिमिट पर चुनाव करा चुकी है! लेकिन इस बार बिहार सरकार के मंत्री सम्राट चौधरी कहते हैं, कि आगामी पंचायत चुनाव में यह कानून लागू नहीं होगा! जबकि बिहार का प्रजनन दर   3.23 है, जो कि आने वाले 15 वर्षों में 2.38 पर आ जाने की उम्मीद है! बिहार बंगाल में आबादी का घनत्व देश की औसत से 3 गुना अधिक है।






बिहार में 1106 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में जनसंख्या  घनत्व में देश के दूसरे नंबर का राज्य है, यहां प्रति वर्ग किलोमीटर में 1028 लोग रहते हैं। जबकि देश का औसत 382 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर है। सबसे सघन जिला नॉर्थ ईस्ट दिल्ली है। जहां 36155 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि 21वीं सदी के अंत तक दुनिया की आबादी ग्यारह सौ करोड़ के पीक पर आ जाएगी, लेकिन वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की स्टडी कहती है, कि यह पिक उससे थोड़ा पहले 2064  मे हीं आ जाएगा और आबादी का शीर्ष होगा 980 करोड़। भारत की आबादी 2017 में 138 करोड़ थी, जो 2048 तक बढ़कर 160 करोड के  पिक पर हो जाएगी। जिसके बाद गिरावट शुरू हो जाएगा। इसके बाद दुनिया की भी आबादी में गिरावट का दौर दौर शुरू हो जाएगा ।दरअसल दुनिया में महिलाओं की शिक्षा का स्तर सुधरा है ।साथ ही अब महिलाएं रोजगार को लेकर जागरूक हुई है। इसका भी असर है, कि महिलाओं में फर्टिलिटी रेट कम हुई है। चीन ,अमेरिका, जापान, इटली, रूस में घटती आबादी से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। क्योंकि वर्तमान स्थिति के हिसाब से अगली शताब्दी के आरंभ तक इन सभी देशों की आबादी आधी से भी कम रह जाएगी ।लेकिन अभी भारत के कुछ राज्यों की जो जनसंख्या वृद्धि दर है ,उसमें बड़ी मुश्किल से किसी राज्य ने आबादी वृद्धि रोकने का कानून बनाने की हिम्मत की है ।एक देश जो हर संसाधन के रहते हुए भी ,आबादी के बोझ के तले कराह रहा है ।क्या समाज इतनी भी अपेक्षा सरकारों से नहीं कर सकता ?आज जब इस कुचक्र को तोड़ने की पहल हुई ,तो विपक्ष तो छोड़िए ,सत्ता पक्ष के कुछ लोग भी विरोध करने लगे हैं ।डर इस बात का है ,कि इस कानून के लागू होने के बाद हर समुदाय का अलग-अलग व्यवहार होगा ,जिसका सीधा असर अलग अलग पार्टी के वोट बैंक पर होगा। विरोध शायद इसीलिए किया जा रहा है ।इन सब के बावजूद आबादी कानून के मसौदे का विरोध अतार्किक है ।






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