विशेष :मैं नहीं, हम मनाये दीपावली:एसपी कुमार आशीष

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आईपीएस अधिकारी ने लोगों से की अपील

किशनगंज /प्रतिनिधि

यूँ तो हम सबों के लिए दीवाली का त्यौहार हमेशा से ख़ास होता है, कई मीठी और अच्छी यादें जुडी रहती है इसके साथ।कभी दीवाली होती नहीं केवल छप्पन पकवानों से, तब दीवाली केवल- भरे पेट सोने का नाम होता है।कभी-कभी दीवाली सोना-चाँदी खरीद कर नहीं मनाई जाती, तब दीवाली -तन पर कपड़ों की एक दूसरी जोड़ी महसूस करने का नाम होता है।ये अल्फ़ाज़ आईपीएस अधिकारी बतौर किशनगंज एसपी कुमार आशीष के हैं।

एसपी ने दीपावली की महत्ता बताते हुए आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि कहा कि कभी-कभी दीवाली अपनों को महंगे उपहार बाँट कर नहीं मनती, तब दीवाली -किसी बेसहारा कंधे पर हाथ रख सहारा देने का नाम होता है।एक तरफ जहां दीपों की लड़ियाँ जला कर, अपने परिवार के साथ -मिठाईयों और पटाखों के संग यह त्योहार मनाया जाता है, पर ऐसे कई सारे घर (बस्तियों) है, जहाँ दीवाली पर्व पर दीपक बनते और बिकते जरूर है, पर जल नही पाते।घरों में साफ़-सफाई और रंग-रोगन जरुर होता है पर खुद के घर अंधेरों में ही रह जाते हैं।

मिठाइयाँ बनती तो जरुर है पर बनाने वाले हाथों को नसीब नहीं होती।नए कपडे सिलते जरुर हैं, पर सिलने वाले चीथड़ों में ही रह जाते हैं। हम सब मिलकर इस वर्ष एक पहल करें ताकि दीपावली का दीपक वहाँ भी रोशनी लाये जहां के जरूरतमंद लोग अपने घर को रोशन करने के लिये दिन रात जी-तोड़ काम कर रहे है।कुछ छोटे छोटे प्रयास- प्यार पाने के लिये जैसे बिस्कुट, लड्डू, फ्रूटी, मोमबती, चॉकलेट, खील-बताशे इत्यादि उन बच्चो में बांटे जो हमको आते-जाते टुकर- टुकर देखते रहते है।आस के साथ- भरोसे के साथ, हम उन्हें साथ लाएं और यही सच्ची दिवाली होगी।






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