राजेश दुबे
बिहार में चुनाव का आगाज हो चुका है । एनडीए और महागठबंधन ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी है और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है ।लेकिन इन सब के बीच इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है ।क्योंकि कल तक जो साथ थे वो अब एक दूसरे के खिलाफ दिखाई दे सकते है । 2015 के विधान सभा चुनाव में जहा नीतीश कुमार महा गठबंधन के साथ थे ,वहीं इस बार वो एनडीए के साथ है जबकि रालोसपा एनडीए का हिस्सा थी जो कि इस बार महागठबंधन के साथ है ।
लेकिन सबसे नया और चौंकाने वाला मामला यह है कि लोजपा 143 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े करने वाली है । चिराग पासवान अगर ऐसा कर देते है तो जदयू को भारी नुकसान होगा और जदयू का फिर से सत्ता में आना मुश्किल हो जाएगा ।आज दिल्ली में आयोजित लोजपा की बैठक के बाद ऐसी खबरे आई है कि चिराग ने साफ कह दिया है कि मोदी से बैर नहीं नीतीश कुमार की खैर नहीं । लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मौजूद नेताओ से चिराग पासवान ने उनकी राय जानी है और 143 विधान सभा सीट पर उम्मीदवारों कि सूची तैयार कर जल्द से जल्द केंद्रीय कमिटी को भेजने की बात कही है ।
मालूम हो कि रविवार को भी चिराग पासवान ने सीएम पर निशाना साधते हुए एससी / एसटी की हत्या पर परिजनों को नौकरी देने के मामले पर इसे का चुनावी स्टंट करार दिया था।
तो क्या लोजपा ने बिहार के मतदाताओं के मूड को इस बार परख लिया है ?
बिहार के विरोधी दल के नेताओं के साथ साथ आम जनमानस हमेशा यह कहती है कि लोजपा सुप्रीमो राम विलास पासवान मौसम वैज्ञानिक है और कब कहा किसकी सरकार बनेगी इसकी जानकारी उन्हें पहले से हो जाती है तभी वो हमेशा सत्ता के साथ बने रहते है ।इसलिए अभी से राजनैतिक गलियारे में इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि अगर लोजपा जदयू के खिलाफ हो जाती है तो समझ लीजिए इस बार जदयू को सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा अब यह कितना सच है यह तो भविष्य के गर्भ में है ।
लेकिन चिराग पासवान जहा केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे है वहीं बिहार सरकार पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर उन्होने सीएम नीतीश को घेरने का विपक्षी राजद और कांग्रेस को भी मौका दिया है ,उन्होंने पिछले दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे पी नड्डा से भी मुलाकात की थी उसके बाद सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ वो और मुखर रूप से निशाना साधते रहे है ।
यहां गौर करने वाली बात है कि बिहार बीजेपी के नेता भी चिराग पासवान के बयानों पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देते है और लड़ाई एनडीए में ना होकर जदयू -लोजपा के बीच ही सीमित रहती है ।राजनैतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि जो भी जदयू लोजपा में हो रहा है उसमे बीजेपी के वरिष्ट नेताओ की भी सह है । इसलिए बीजेपी के नेता कोई प्रतिक्रिया नहीं देते है ।
ऐसे में अगर लोजपा 143 विधान सभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ी कर देती है तो फिर जदयू के लिए विधान सभा चुनाव की राह कठिन हो जाएगी ।