किशनगंज /प्रतिनिधि
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने त्रिस्तरीय पंचायत राज जनप्रतिनिधियों के साथ सम्राट अशोक भवन में परिचर्चा करते हुए कहा बिहार गणतंत्र का जननी है बिहार से ही लोकतंत्र की शुरुआत हुई है। बिहार की जनप्रतिनिधि काफी महत्व रखते हैं और ऐसे में पूरा बिहार और किशनगंज मेरा है। जनप्रतिनिधि लोकतंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा आम लोगों से सीधी जुड़ाव जनप्रतिनिधि के होते हैं और वह उनके आवाज बनकर लोकतंत्र में उठते हैं ऐसे में किशनगंज के त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्था के जनप्रतिनिधियों के साथ उनका परिचर्चा करना सौभाग्य की बात है।
राज्यपाल ने कहा मैं खुद जनप्रतिनिधि रह चुका हूं गोवा में विधायक से लेकर मंत्री रहा हूं इसीलिए जनप्रतिनिधियों को बहुत अच्छे से जान रहे हैं। उन्होंने किशनगंज के गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल का सराहना करते हुए कहा कि यह मिसाल पूरे देश का है। राज्यपाल ने बिहार सरकार के मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल का सराहना करते हुए कहा डॉक्टर जायसवाल आपके क्षेत्र से तीसरी बार विधान पार्षद बनकर गए हैं और आज मंत्री बने हैं इतना ही नहीं प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष भी है।
ऐसे में आप लोग उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधि है और आप लोगों से अपील करना चाहूंगा कि आप जिस भी क्षेत्र में हो चाहे वो गांव हो पंचायत हो जिला परिषद क्षेत्र हो उसे स्थान पर आप डॉक्टर जयसवाल का प्रतिनिधि बनाकर कार्य करें आपकी कोई भी परेशानी होगी तो हम आपके साथ हैं। किसी की भी समस्या हो तो आप उसके निराकरण करने का कोशिश कीजिए।उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम सब एक ही हैं। किसी का खून अलग नहीं होता है। हमारी इंसानियत ही हमारी असलियत है। आप सब एकता के मिसाल को कायम रखें।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि जो हमारे लिए काम करता है वही जन प्रतिनिधि होता है। जनता ने जिन उम्मीदों से आपको चुना है, उन्हें आप पूरा करें।जनप्रतिनिधियों के साथ परिचर्चा की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ किया गया जिसके बाद जिला पदाधिकारी ने स्मृति चिन्ह देकर राज्यपाल को भेंट किया। इस दौरान जिले के त्रिस्तरीय पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि मौजूद थे। वहीं इस कार्यक्रम के बाद राज्यपाल सीधे सड़क मार्ग से खगड़ा हवाई अड्डा के लिए रवाना हो गए और खगड़ा हवाई अड्डा से हेलीकॉप्टर से पटना के लिए रवाना हो गए।
राज्यपाल का साधारण व्यक्तित्व का झलक मंच पर देखने को मिला जब जनप्रतिनिधियों की परिचर्चा कार्यक्रम को लेकर मंच पर उनके लिए अलग विशेष कुर्सी का इंतजाम किया गया था लेकिन राज्यपाल ने अपने सिक्योरिटी इंचार्ज से कहकर कुर्सी को हटवा दिया और सभी के लिए लगाए गए साधारण कुर्सी में ही मंच पर बैठ गए जिससे राज्यपाल का साधारण व्यक्तित्व का झलक सभी जनप्रतिनिधियों ने देखा। दरअसल अक्सर देखा जाता है राज्यपाल के लिए विशेष कुर्सी का व्यवस्था किया जाता है इसी के लिए सम्राट अशोक भवन में भी उनके और उनके धर्मपत्नी के लिए दो विशेष कुर्सी का इंतजाम किया गया था लेकिन जनप्रतिनिधियों के बीच उन्होंने साधारण कुर्सी में बैठकर ही परिचर्चा किया।