कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):
कैमूर मे एक विवाहिता को दहेज में मोटरसाइकिल की मांग को लेकर ससुराल वालों ने गला दबाकर हत्या कर दिया । महज एक साल पहलें धूम धाम से शादी हुयी थी । विवाहिता के पिता ने रामगढ़ थाने मे ससुराल वालो पर सास ससुर सहित 4 लोगों के खिलाफ आवेदन देकर कार्यवाई करनें का मांग किया है । मामला रामगढ़ थाना क्षेत्र के तियरा गाँव का बताया जा रहा है ।मृतका तियरा गाँव निवासी प्रदीप कुमार राम की 22 वर्षीय पत्नी ज्ञानती देवी बताई जा रही है।
मृतका के पिता ने बताया की मेरी बेटी को दहेज व मोटरसाइकिल के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। लेकिन कई बार लड़की के ससुराल जाकर कहा भी गया था कि शादी से पहलें वादे के अनुसार सब कुछ दे दिया गया हैं। आगे जानकारी देते हुए बताया कि 19 फरवरी को लड़की के ससुराल वालों द्वारा मोबाइल से सूचित किया गया कि आप की पुत्री की तबीयत खराब हैं।
वहीं इस सूचना पर हम परिजनों के साथ पुत्री के ससुराल पहुंचें तो देखे की पुत्री की मृत्यु हो गई हैं। जहां आवेदन में ससुर राम अशीष राम सांस कुंती देवी गोतनी मीरा देवी एवं देवर बाबूलाल राम के विरुद्ध प्राथमिक का आवेदन दिया गया हैं जहां पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रहीं हैं।
बताते चलें की वैसे दहेज अपराध और दहेज हत्या के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश से पीछे है, पर जागरूकता के प्रयासों, शिक्षा के बढ़ते स्तर और रोजगारों में लड़कियों की बढ़ती भागीदारी के बावजूद दहेज का खत्म न होना चिंता का विषय है। समाज का बड़ा हिस्सा अब भी दहेज के नाम पर महिलाओं से क्रूरता से पेश आ रहा है। भले लड़कियां पढ़ी-लिखी हों और अच्छी नौकरी में हों, पर उन्हें भी दहेज की शर्त निभानी पड़ रही है। कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय ने एक नई व्यवस्था दी थी, जिसके तहत दहेज प्रताड़ना से जुड़े मामलों में पुलिस आरोपी को सीधे गिरफ्तार करने के बजाय परिवार कल्याण समिति के पास भेजेगी।
जब तक उस समिति की रिपोर्ट न आ जाए, आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत महसूस हो रही है। हाल में उसने ऐसे संकेत दिए हैं कि दहेज के मामले में महिलाओं को संरक्षण की जरूरत है और जब तक समाज की सोच में तब्दीली नहीं आती, दहेज कानून में फेरबदल उचित नहीं होगा। लगातार हो रही दहेज प्रताड़ना संबंधी घटनाओं को देखने के बाद लगता है कि जिस एक कानून के तहत महिलाओं को दहेज प्रताड़ना के मामलों में न्याय मिलने की उम्मीद बंधती है, उसमें कोई बदलाव उनकी जिंदगी को और मुश्किल बनाएगा। बेशक इस कानून का दुरुपयोग हुआ होगा, पर उसे सर्वसम्मत नजीर मानना दुखद है।
बीच में कुछ अरसा ऐसा जरूर आया था, जब लगा था कि पढ़ाई-लिखाई और नौकरी के साथ शादी करने वाली लड़कियों को दहेज से मुक्ति मिल जाएगी, पर समाज में अरेंज्ड मैरिज का दौर लौटते ही दहेज का दानव फिर हावी हो गया है। 2014 में एक मैट्रीमोनियल वेबसाइट ने एक टीवी न्यूज चैनल के साथ मिलकर देशव्यापी सर्वेक्षण कराया था, जिसमें दो-तिहाई युवाओं ने कहा था कि वे शादी अपने मां-बाप की मर्जी से ही करेंगे। जब ऐसी पारंपरिक शादियां होंगी, तो दहेज भी परंपरा के तहत लिया-दिया जाएगा। अब तो अदालत भी दहेज प्रताड़ना के मामले में वर पक्ष को राहत देने में आगे आ गई है, लिहाजा दहेज से इन्कार लड़की और उसके परिवार वालों पर भारी पड़ सकता है।
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