पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार में लंबी पारी खेलने के दिए संकेत ।
राजेश दुबे
बिहार के राजनैतिक गलियारे में एक नया चेहरा अपनी किस्मत आजमाने के लिए पूरे दम खम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर चुकी है । पिछले तीन चार महीने से लगातार पहले तो सोशल मीडिया के जरिए और अब मैदान में उतर कर लंबी पारी खेलना चाहती है पुष्पम प्रिया चौधरी ।
पुष्पम ने लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी की है और अब बिहार में वो राजनीति के जरिए बदलाव लाना चाहती है । पुष्पम ने अपनी पार्टी का नाम दिया है plurals और वो खुद को पूर्व में मुख्य मंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुकी है । पुष्पम की बातो को पहले राजनैतिक गलियारे में तरजीह नहीं दी गई । लेकिन जैसे जैसे उनका जनसंपर्क अभियान तेज हो रहा है वैसे वैसे अन्य पार्टियों के समर्थक भी हमला करने लगे है जिससे प्रतीत होता है की उन्होंने जमीन पर अपनी पकड़ को मजबूत किया है ।

पुष्पम ने बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिले के चाय बागानों सहित अन्य क्षेत्रों का गुरुवार को दौरा किया और जिले के कोचाधामन प्रखंड के विशनपुर की तमन्ना को 82% अंक लाने पर आगे की पढ़ाई में मदद का आश्वासन दिया है । किशनगंज , पूर्णिया ,कटिहार के अलग अलग क्षेत्रो का दौरा कर वो लोगो की समस्याओं से रूबरू हो रही है । बिहार की राजनीति में इस बार पुष्पम के आने से मुकाबला दिलचस्प होने के कयास अभी से लगाए जाने लगे है ।

विधान सभा 2020 का चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है क्योंकि बिहार विधान सभा में प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद पूरे मूड में दिखाई दे रही है और लगातार राजद नेता तेजस्वी यादव के द्वारा भाजपा जदयू गठबंधन पर हमला किया जा रहा है वही दूसरी तरफ पप्पू यादव भी जोर शोर से विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 22 जिलों के 32 विधान सभा सीट की सूची जारी कर यह जता दिया है कि मुस्लिम मतदाताओं पर पहला हक उनका है ।
कांग्रेस फ्रेम में कहीं दिख नहीं रही है लेकिन महागठबंधन का घटक होने की वजह से NDA सरकार को कुछ सीटों का नुकसान वो भी पहुंचाएगी रही मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के ताज़ा ताज़ा दुश्मन बने प्रशात किशोर के रणनीति का भी कुछ फायदा महागठबंधन को ही मिलेगा । जनता जनार्दन अब क्या फैसला सुनती है और पुष्पम को कितना लाभ मिलता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन
राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो
पुष्पम बिहार के मतदाताओं खास कर युवा मतदाताओं में तेजी से पकड़ बना रही है जो की NDA के लिए आगामी विधान सभा चुनाव में मुश्किल खड़ी कर सकती है ।