राजेश दुबे
बिहार में विधान सभा का चुनाव अक्टूबर नवंबर में होना तय है और सभी राजनैतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है । चुनाव में जीत हेतु सभी दलों ने जातीय समीकरण को लेकर भी जोड़ तोड़ शुरू कर दिया है ।
बिहार के चुनाव में भले ही राजनैतिक पार्टियां विकास,रोजगार ,अपराध ,जैसे मुद्दों को अपनी घोषणा पत्र में रखने का दावा करे ।लेकिन ये तमाम मुद्दे चुनाव आते आते गायब हो जाते है और इन मुद्दों का स्थान जातीय और धार्मिक समीकरण ले लेता है ।
इसका ज्वलंत उदाहरण है महागठबंधन का हिस्सा रहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जैसे ही एनडीए का दामन थामा उसके बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर लोगो से राय मांगी कि क्या भीम आर्मी को महागठबंधन में शामिल किया जाना चाहिए ?
हालाकि बाद में उन्होंने इस ट्वीट को हटा दिया ।जातीय समीकरण के मामले में एनडीए अभी मजबूत है और करीब करीब सभी जातियों के नेता एनडीए में मौजूद है जो कि चुनाव में अपने प्रभाव से उम्मीदवारों कि जीत सुनिश्चित करेंगे ।
लेकिन इसके बावजूद एक बड़ा रोड़ा एनडीए और महागठबंधन दोनों की राह में आकर खड़ा हो गया है ।
वो है AIMIM पार्टी जो कि दोनों गठबंधनों के लिए मुश्किल पैदा करेगा ।मालूम हो कि बिहार में मुस्लिम आबादी 17 प्रतिशत के आसपास है । राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं ।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अभी तक 50 विधान सभा सीटों की सूची जारी कर चुकी है और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान कह चुके है कि और सूची जारी की जाएगी ।AIMIM के द्वारा जिन विधान सभा क्षेत्रों कि सूची जारी की गई है उन सीटों में अधिकांश पर राजद ,कांग्रेस या फिर जदयू का कब्जा है ।
मुस्लिम वोट बैंक में जदयू ने बहुत हद तक अपनी पकड़ को मजबूत किया था । लेकिन दुबारा बीजेपी के साथ आने पर अब बिहार के मुस्लिम मतदाता नीतीश कुमार से किनारा कर रहे है ।कुछ हद तक मुस्लिम मतदाता कांग्रेस और राजद के साथ है । लेकिन बड़ी आबादी जो कि सीमांचल और कोशी क्षेत्र की है उसे AIMIM में अपना भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है ।
मालूम हो कि कोशी और सीमांचल में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुल क्षेत्र है और यहां के विधानसभा क्षेत्रो में NRC और CAA मुद्दा भी प्रभावी रहेगा और AIMIM जो कि NRC के खिलाफ रही है और इन क्षेत्रों में अशदउद्दीन ओवैसी ने NRC के खिलाफ आंदोलन किया है ।आंदोलन का सीधा लाभ इस पार्टी को मिलेगा । जिसका सीधा नुकसान ना सिर्फ महागठबंधन को होगा बल्कि जदयू को भी होगा और मीम मजबूत होकर उभरेगी जिससे कि विधान सभा की तस्वीर बदल सकती है ।
हालाकि अभी 2 महीने का समय है कुछ भी उलटफेर हो सकता है । लेकिन त्रिशंकु विधानसभा की आशंका अधिक है ।