बुढ़ी मां का सहारा बनने की सदफ की तमन्ना रह गई अधूरी

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किशनगंज /सागर चन्द्रा

अपनी बुढ़ी मां का सहारा बनने और अपने पैरों पर खड़े होने की लालसा में सदफ ने नर्सिंग का काम करना शुरू किया था। तीन वर्ष पूर्व पिता की मौत के बाद दोनों बड़े भाइयों ने अपना अलग परिवार बसा लिया था। प्रारंभिक दिनों में सदफ अपने गांव में ही छोटा मोटा काम कर अपना और अपनी मां का भरणपोषण करती थी।

इस बीच उसे नर्सिंग में कैरियर बनाने की सोची और काम की तलाश में किशनगंज आ गई। विगत डेढ़ वर्षों से वह सुभाषपल्ली स्थित डीएस नर्सिंग होम में काम कर रही थी। अपनी लगन और मेहनत से वह जल्द काम सीखने लगी। स्वभाव से हंसमुख और मिलनसार प्रवृत्ति की धनी सदफ बहुत जल्द सहकर्मियों के साथ इलाज कराने पहुंचे मरीज और उनके परिजनों के दिलों पर राज करने लगी। सोमवार रात भी उसने भर्ती मरीजों की सेवा की थी। मानसिक तनाव या शिकन के लक्षण उसके चेहरे पर नाम मात्र के भी नहीं थे। लेकिन मंगलवार सुबह उसे कमरे में मृत पाया गया।सदफ की मौत के बाद पूरे परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा है और सभी का रो रो कर बुरा हाल है ।

नोट :खबर में लगाई गई तस्वीर मृतिका के भाई की है।

बुढ़ी मां का सहारा बनने की सदफ की तमन्ना रह गई अधूरी

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