- परिवार की खुशहाली के लिये महिलाएं हीं नहीं पुरुषों को भी निभानी होगी अपनी जिम्मेदारी
पूर्णिया /प्रतिनिधि
बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिहाज से परिवार नियोजन के उपायों पर अमल जरूरी है। बढ़ती आबादी ,जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच व टिकाऊ विकास की राह में बाधाएं खड़ी करता है।इसके उलट परिवार नियोजन के उपायों पर अमल करने से मां व शिशु की सेहत में सुधार होता है।जो स्वास्थ्य ढ़ांचे का अनिवार्य हिस्सा है। इससे बच्चों के बीच जन्म अंतराल रखने व गर्भनिरोध में भी मदद मिलती है। कुपोषण घटाने, घर के खर्च को नियंत्रित करने व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के मामलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो चुकी है। इसके लिये जिले में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
लोगों में जागरूकता के लिए पखवाड़ा का होता है आयोजन :
लोगों में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। इसमें क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता योग्य दम्पतियों को सूची बद्ध करते हुए उनसे संपर्क स्थापित कर उन्हें परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के लिये प्रेरित करती हैं। पखवाड़े में आशा व एएनएम लोगों के घर-घर जाकर परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों को अपनाने के लिये प्रेरित व जागरूक करती हैं।. सभी पीएचसी में भी फैमिली प्लानिंग के अतिरिक्त इंतजाम उपलब्ध हैं। सभी पीएचसी में शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति है। गर्भनिरोधक सामाग्री के वितरण व आम लोगों तक इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर विशेष बल दिया जाता है।इसके लिये सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर कंडोम बॉक्स सहित अन्य प्रकार के साधनों का सार्वजनिक प्रदर्शन किया जायेगा।
परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित कराना है लक्ष्य :
सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि परिवार नियोजन खुशहाल परिवार का आधार है।. जिले में फैमली प्लानिंग में पुरुषों की भागीदारी बहुत कम देखी जाती है। पखवाड़ा का उद्देश्य परिवार नियोजन के उपायों के प्रति अधिक से अधिक पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित कराते हुए उन्हें इसके प्रति जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा कि बड़ा परिवार गरीबी का महत्वपूर्ण कारण है।. परिवार बड़ा होने के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य जरूरी संसाधन जुटाने में लोगों को अतिरिक्त आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है।. इसलिये भी लोगों को छोटे परिवार के महत्व को न सिर्फ समझना होगा बल्कि इसे अपनाने के उपायों के प्रति गंभीर होना होगा।. ताकि समृद्ध व खुशहाल परिवार की नींव को मजबूत किया जा सके।
परिवार नियोजन की राह में हैं कई अवरोध :
जानकारी का अभाव व जागरूकता की कमी जिले में परिवार नियोजन की राह में बड़ा अवरोध है। इसके लिये विभागीय स्तर पर भी गंभीर प्रयास की जरूरत है। जैसे शादी के तुरंत बाद दंपति का नाम आरसीएच रजिस्टर पर दर्ज कराना जरूरी है। ताकि क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता उनसे संपर्क स्थापित कर शादी के दो साल बाद पहला बच्चा के लिये प्रेरित कर सके।इसके बाद दंपति को पहले व दूसरे बच्चे के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखने के लिये भी प्रेरित व जागरूक किया जाना जरूरी है। हर चरण में इसके लिये आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।फैमली प्लानिंग के उपाय किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिये।. उपलब्ध विभिन्न संसाधनों में लोगों को चयन की छूट दी जानी जरूरी है।. जो लोगों की संतुष्टि के लिहाज से महत्वपूर्ण है।