श्री राम मन्दिर उद्घाटन के अवसर पर विराटनगर में श्री रामचरित परिचर्चा का होगा आयोजन

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जोगबनी (अररिया)अरुण कुमार

मैथिली एसोसिएशन नेपाल द्वारा विराटनगर के सर्वथा प्राचीन रामजानकी मन्दिर (जतुवा, विराटनगर-14) में 22 जनवरी 2024 (माघ ८ गते २०८० विक्रम संवत साल) सोमवार के दिन श्री रामचरित परिचर्चा गोष्ठी एवं संगठन विस्तार विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं मैथिली भाषा अभियन्ता प्रवीण नारायण चौधरी ने बताया कि अयोध्या में 500 वर्ष बाद फिर से राम जन्मभूमि स्थल पर मन्दिर बनाया जाना और उसमें भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी द्वारा भगवान राम के बालरूप मूर्ति विग्रह में प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन हम सबों के लिये अभूतपूर्व अवसर है।

इस दिन को इतिहास के पन्ने में दर्ज करने के लिये सभी लोगों को अपने-अपने स्तर से अपने-अपने जगहों पर रहकर भी कुछ महत्वपूर्ण आयोजन करना चाहिये, हम मैथिलीभाषियों के लिये तो यह दिवस और भी खास है क्योंकि हमारी मैथिली (सीता) के सर्वसमर्थ स्वामी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मभूमि पर बाहरी आक्रान्ताओं का दिया घाव सदा-सदा के लिये मिटा दिया गया है और एक बार फिर से हमारे राम वहीं विराजेंगे जहाँ सदियों से हमारे पूर्वजों ने उनको पूजते आये हैं। यह हमारे पीढ़ी में सम्भव हो पाया है यही बहुत बड़े गौरव की बात है। इस दिवस को हम मिलकर खास बनायेंगे।

जनक नंदिनी जानकी के साथ दशरथनन्दन राम ने जो रामचरित और मानवीय आदर्श को स्थापित किया है यह असाधारण है। भगवान राम यूँ ही अमर-अमिट नहीं हुए, बल्कि सच भी यही है कि उन्होंने मनुष्य रूप में मनुष्य जीवन किस प्रकार जीना चाहिये इस बात का पूरा ज्ञान और ध्यान हमलोगों को दिये हैं। अपने जन्म से महाप्रयाण तक के समय में वह केवल सत्य मार्ग पर चले, मानवीय आदर्शों को बखूबी जिये और प्रजाहित में अपने को भी कष्ट देकर, अपनी धर्मपत्नी सीता तक को राज्य से निर्वासित रहने का आदेश देकर राजधर्म निभाने का अद्भुत नमूना पेश किया। हमारे लिये राम का आदर्श आज भी अनुकरणीय है। वैसे कई लोग राम के द्वारा पत्नी सीता पर अत्याचार करने जैसी बातें करते हैं, पर ऐसा करना मुनासिब नहीं है, स्वयं सीता द्वारा अपने पति राम के प्रति सम्पूर्ण विश्वास और पातिव्रत्य को सिद्ध करने के लिये अन्तिम परीक्षा इस प्रकार दे दीं कि हम मानव समुदाय आज भी अपने गलत सोच पर पश्चाताप कर रहे हैं। सुनी-सुनाई बातों पर अपने राजा राम को घेरने जैसी कुत्सित मानसिकता प्रजा को कभी भी धारण नहीं करना चाहिये, नहीं तो आदर्श के पथ पर ‘राम राज्य’ चलानेवाले राजा रामचन्द्र प्रजा की बातों को सर-आँखों पर रखते हुए निर्दोष पत्नी तक को कठघरा में खड़ा करके राजधर्म निभाएंगे और कितनी सीताओं का वही होगा जो रामायण में हुआ।

नेपाल के ऐतिहासिक नगरी विराटनगर में उपरोक्त आयोजन किया जायेगा जिसमें कई विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। रामजानकी मन्दिर का निर्माण १०० वर्ष से भी अधिक समय पहले हुआ था जहाँ आज भी यादव समुदाय के लोगों की बहुल्यता में धार्मिक-आध्यात्मिक सभाएं, प्रत्येक सोमवार स्त्री समुदायों के द्वारा भजन-कीर्तन और प्रत्येक मंगलवार को पुरुषवर्गों के द्वारा भजन-कीर्तन का परम्परा भी कई दशकों से चलता आ रहा है। प्रत्येक वर्ष यहाँ राम-जानकी विवाह पंचमी, रामनवमी, शिवरात्रि आदि पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस मन्दिर में पर्यटकों को आकर्षित करनेवाली कई खासियत मौजूद हैं। साथ ही विगत के कुछ वर्षों में यहाँ पर यात्रियों का रात्रि विश्राम, समुदाय के लोगों की शादियाँ व अन्य बैठकें करने की भौतिक पूर्वाधार का भी विकास हुआ है। कोशिश है कि आनेवाले कुछ वर्षों में इस पुनीत मन्दिर और इसकी इतिहास को देश-विदेश के लोगों तक पहुँचाया जायेगा, जिसके लिये मैथिली एसोसिएशन नेपाल प्रतिबद्ध है।

श्री राम मन्दिर उद्घाटन के अवसर पर विराटनगर में श्री रामचरित परिचर्चा का होगा आयोजन

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