राजेश दुबे
देश में लॉक डाउन 3 समाप्त होने वाला है और लॉक डाउन 4 कैसा होगा इस पर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है ।मालूम हो कि पिछले 2 महीनों से जारी लॉक डाउन की वजह से लोग घरों में रहने को मजबुर है, बड़े पैमाने पर लोगो को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । महामारी फैलने के बाद से ही लगातार सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे है । देश के नागरिकों को समस्याओं से बचाया जा सके इन सबके बावजूद देश में संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख का आंकड़ा छूने वाला है ।ये महामारी और फैल सकती थी कहा जा सकता है की सरकार ने समय रहते लॉक डाउन का निर्णय ले कर देश की बड़ी आबादी को बीमारी से बचा लिया । गोवा ,अरुणाचल ,केरल जैसे राज्यों ने सही समय पर ठोस कदम उठा कर महामारी से खुद को बाहर भी निकाल लिया है ।लेकिन महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश ,राजस्थान ,गुजरात ,दिल्ली ,बिहार ,बंगाल सहित कई राज्यो में अभी बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है जिससे बचाव के लिए लॉक डाउन का कड़ाई से पालन हो यही एकमात्र उपाय है । सरकार के पास दो चुनौती है एक तो अर्थ व्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाए दूसरी अपने देश के नागरिकों को कैसे सुरक्षा प्रदान किया जाए और बीमारी से बचाया जाए । इन दोनों चुनौतियों से निपटने के लिए दूरदर्शिता भरे निर्णय लेने की जरूरत है ताकि जिन राज्यो में संक्रमण बढ़ रहा है वहां संक्रमण और ना फैले ।देश का एक वर्ग जहा लॉक डाउन बढ़ाने के पक्ष में है वहीं एक वर्ग इन तमाम चीजों से उब चुका है और वो किसी भी हालत में सिर्फ अपने सुविधा का ध्यान रखते हुए लॉक डाउन को समाप्त करने की मांग कर रहा है ।ऐसे में सरकार के पास भी असमंजस वाली स्थिति उत्पन्न हो चुकी है ऐसा सत्ता धारी दल के नेताओ के बयान से प्रतीत होता है ।सरकार को इस समय कठोर निर्णय लेने की जरूरत है वहीं जो प्रावसी मजदूर बाहर फसे है उन्हें भी उनके घर पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाना पड़ेगा क्योंकि इन श्रमिको की वजह से संक्रमण का खतरा नए इलाकों में बढ़ा है ।सरकार कुछ छूट के साथ तय समय सीमा पर विशेष जरुरी सामानों के दुकानों को ही खोलने कि अनुमति प्रदान करे यही इस समय की जरूरत है। अन्यथा देश के नागरिक हलकी छूट मिलने के बाद ही उसका दुरुपयोग करने से बाज नहीं आएंगे ।पुलिस और प्रशासन को भी चुस्त दुरुस्त रखने की जरूरत है और बेवजह निकलने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए ।