विदाई में नेपाल के श्रद्धालु भी हुए शामिल
रिपोर्ट : अरुण कुमार
दस दिनों से चला आ रहा शारदीय नवरात्र समाप्त हुआ।अश्रुपूरित नम आंखों से भक्तों ने मां भगवती को विदाई दी।विसर्जन से पहले मां की प्रतिमा का नगर भ्रमण कराया गया। ढाक के धुन पर मां के जयकारे के साथ नगर भ्रमण किया।अररिया जिले में 110 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई।बता दे की अररिया जिले में कई पूजा समिति के द्वारा मां की विदाई कंधों पर देने की परंपरा चली आ रही है।
जिस तरीके से घर से बेटी को डोली पर बैठाकर विदाई की भारतीय सभ्यता- संस्कृति की पौराणिक परम्परा है। बेटी की डोली कहार उठाते हैं। उसी तर्ज पर मां भगवती की प्रतिमा को श्रद्धालु कंधे और हाथ पर उठाकर नगर भ्रमण कराते हुए विसर्जित करते हैं। फारबिसगंज के सुलतान पोखर पूजा समिति
के द्वारा कंधे और हाथ पर माता को नगर भ्रमण कराया गया। सुलतान पोखर दुर्गा पूजा समिति के सदस्य मां भगवती के विशाल प्रतिमा के बेस को इस कदर बनाते हैं कि मां को विदाई के दौरान कंधे पर उठा सके। पांच दर्जन से अधिक भक्तो ने मां को अपने कंधे पर बिठाकर नगर भ्रमण कराया और फिर विसर्जन किया गया। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही।सुलतान पोखर दुर्गा पूजा समिति द्वारा मां दुर्गा के नौ स्वरूप के साथ प्रतिमा स्थापित की गई थी।भक्तों के कंधे पर मां की विशाल प्रतिमा भाव विह्वल करने वाला रहा।
अररिया में जहां परमान नदी में त्रिशूलिया घाट पर मां की प्रतिमा को विसर्जित की गई। वहीं फारबिसगंज में सीताधार और सुल्तान पोखर और जोगबनी में परमान नदी में मां की प्रतिमा को अश्रुपूरित नेत्रों के साथ विदा किया गया। विसर्जन स्थल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।प्रशासन की ओर से पूरे जिले में विसर्जन को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया था।
सीसीटीवी कैमरा के साथ साथ ड्रोन कैमरा से पूरे जुलूस पर निगरानी रखी जा रही थी।इसके अलावे मजिस्ट्रेट के साथ साथ पुलिस अधिकारी और भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती विसर्जन स्थल के साथ साथ सभी चौक चौराहे,शोभायात्रा वाले रूट वाली सड़क और सार्वजनिक स्थानों पर रही।शांतिपूर्ण प्रतिमा विसर्जन के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली।