प्रयागराज :गंगा को बचाने के लिए भगीरथ से भी करना होगा अधिक परिश्रम -श्री मोहन भागवत

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उत्तर प्रदेश/प्रयागराज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि गंगा भारत की संस्कृति की जीवन रेखा है। इसे हर हाल में बचाना होगा।उन्होने कहा जो प्रयास भगीरथ को इस धरती पर गंगा को लाने के लिए करना पड़ा था, उससे अधिक परिश्रम कार्यकर्ताओं को गंगा एवं उससे जुड़ी नदियों को बचाने के लिए करना होगा। क्योंकि यह काम भारत की अंतरात्मा से जुड़ा हुआ है।

डॉ. भागवत संघ की सामाजिक गतिविधि गंगा समग्र के माघ मेला के विश्व हिंदू परिषद शिविर में आयोजित पहले कार्यकर्ता संगम को आज संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि निर्मल-अविरल गंगा अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विकास और पर्यावरण दोनों का समान रूप से ध्यान रखना होगा। दोनों में संतुलन बनाने की जरूरत है। गंगा समग्र के आंकड़े कह रहे हैं कि अभी बहुत प्रयास बाकी है। नियमित नित्य कार्य करके लक्ष्य तक पहुंचना, टीम खड़ी करना, अविरल एवं निर्मल गंगा के लिए समाज को सजग करना, हानि-लाभ से ऊपर उठकर प्रबोधन करना पड़ेगा। इस कार्य में अन्य संगठन भी लगे हुए हैं, उनको भी साथ लेकर चलने की जरूरत है। यह काम कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं है। इसलिए कार्यकर्ता बिना विचलित हुए अपने अभियान में जुटे रहे।






संघ प्रमुख श्री भागवत ने गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के दोनों तरफ पांच-पांच किलोमीटर के क्षेत्र को गंगा समग्र से जोड़ा। कहा कि गंगा समग्र गांवों एवं शहरों में नित्य कार्यक्रम चलाने होंगे। तटवर्ती गांव में प्रतिदिन सुबह-शाम गंगा आरती करनी होगी। आरती से भक्ति और भक्ति से स्वच्छता का भाव आता है जो गंगा को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यक है। गंगा के प्रति समाज में पहले से भक्ति है, उसे और प्रगाढ़ करना होगा। तीर्थ पुरोहितों को कर्मकांड का प्रशिक्षण, घाटों की स्वच्छता, वृहद वृक्षारोपण, तालाबों में जल संचय कर उनको पुनर्जीवन देने से संभव हो पाएगा। इस काम के लिए उन्होंने संतों का आशीर्वाद प्राप्त करने का भी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया। 
संघ प्रमुख ने कहा कि निर्मल अविरल गंगा के लिए समाज को साथ लेना होगा। समाज सजग हो गया तो आधा काम अपने आप पूरा हो जाएगा। शेष काम जिनसे करवाना है वो भी समाज से आते हैं। समाज जागरूक हो गया तो शेष काम पूरा होने में कठिनाई नहीं होगी। इसके लिए सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा  स्वयं जनता को इसको अपने हाथों में लेना पड़ेगा।






इस काम से हमें क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा, इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। सभी आयामों की मजबूत टीम बनाकर केंद्र एवं राज्य स्तर पर उनको विधिवत प्रशिक्षित कर इस काम को आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्होंने विज्ञान और अध्यात्म दोनों के प्रयोग पर बल दिया ।
इससे पहले उन्होंने संगम में स्नान किया और बड़े हनुमान जी की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद ग्रहण किया ।।

इस कार्यक्रम में गंगा समग्र के केंद्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र जायसवाल भी उपस्थित थे। केंद्रीय महामंत्री डॉ. आशीष गौतम ने गंगा समग्र की संपूर्ण भूमिका रखी। कार्यक्रम में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राष्ट्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, कोषाध्यक्ष ललित, काशी प्रांत संघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम, आलोक मालवीय, क्षेत्र संयोजक चिंतामणि सिंह, सह प्रांत संयोजक राकेश मिश्रा, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।






प्रयागराज :गंगा को बचाने के लिए भगीरथ से भी करना होगा अधिक परिश्रम -श्री मोहन भागवत

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