किशनगंज /चंदन मंडल
दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। गरीब, अमीर व हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है।
ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की महीना में होता है। दीवाली आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई करने लगते हैं। नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं।
दिवाली के आते ही मन में एक तरह की खुशी की लहर दौड़ने लगती है। कुछ लोग तो दिवाली पर इतने फेस्टिव मूड में होते हैं कि सप्ताह भर पहले से काम-काज छोड़ देते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ऑफिस में बैठे-बैठे ही छुट्टियों को प्लान करने लगते हैं। दुनिया में हमारा देश ही एक ऐसा देश है जहां पर सबसे ज्यादा त्योहार बनाए जाते हैं। उक्त बातें भातगांव पंचायत के जनप्रतिनिधि बृजमोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने रविवार को न्यूज लेमनचूस से बातचीत में कहीं ।
उन्होंने कहा दीपावली के अब गिने चुने हुए दिन रह गए हैं। लोग घरों की साफ-सफाई तथा रंग-रोगन का कार्य भी शुरु कर दिया है। इसकी खरीदारी के लिए रंग-पेंट की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगी है। बाजार में कपड़े, रेडीमेड, किराना सहित दवा दुकानदार खाली समय में अपने दुकान की साफ-सफाई कर रहे हैं, जबकि रात में रंग-रोगन का कार्य करते हैं। इससे उनका कार्य भी चलता रहता है। ऐसे में बाजार की रंग-रोगन दुकानों पर अच्छी खासी-भीड़ लगनी शुरू हो गई है। ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदार अपनी दुकान के आगे बढ़ाकर रंग का सामान रख रहे हैं। जो ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है। लोग अपने घरों को चकाचक करने में लगे हुए हैं। साथ ही उन्होंने उन्होंने लोगों से अपील की चाइनीज लाइट न लेकर मिट्टी के दीया से अपने – अपने घरों को सजाएं। इससे आपका भी घर में रोशनी होगा और उन गरीबों को भी घर रोशन होगा जो मिट्टी के दिये बनाकर बिक्री कर रहे हैं । अगर आपलोग मिट्टी के दीये खरीदींगे तो मिट्टी के दीये बेचने वाले उन गरीबों का घर भी रोशन होगा और वेलोग धूमधाम से दीवाली मना सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस साल दीवाली पर आपलोग अपने घरों को मिट्टी की दीये से ही रोशनी कर सजाएं। बताते चलें कि दिवाली या दीपावली भारत में मनाया जाने वाला एक प्राचीन पर्व है, जो कि हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसके पीछे पौराणिक मान्यता यह है कि दीपावली के दिन हिन्दुओं के आराध्य अयोध्या के राजा भगवान श्री रामचन्द्रजी अपने 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। इससे पूरा अयोध्या अपने राजा के आगमन से हर्षित और उल्लसित था। अयोध्या के लोगों ने इसी खुशी में श्रीराम जी के स्वागत में घी के दीप जलाए। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों के उजाले से जगमगा उठी।
मान्यता है कि तब से आज तक भारत में हर वर्ष यह प्रकाश-पर्व दिवाली के रूप में हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। दीपावली का प्रकाश बुराई पर अच्छाई की जीत है। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है।