पहाड़कट्टा/किशनगंज/राजकुमार
सपने वही पूरे होते हैं जिनके लिए नींद कुर्बान करनी पड़े। यह पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत छत्तरगाछ पंचायत निवासी रमीज़ रेज़ा उर्फ बंटी पर, जिन्होंने बाइक पर बैठकर न केवल पहाड़ों की ऊंचाइयों को छुआ बल्कि सीमांचल के युवाओं के लिए मिसाल भी पेश की।
हक़ पब्लिक स्कूल छत्तरगाछ के संस्थापक बंटी ने 26 दिनों में करीब 6200 किलोमीटर की दूरी अकेले तय की। वे किशनगंज से होते हुए देश के 10 राज्यों का भ्रमण करते हुए लेह-लद्दाख, शिमला, चंडीगढ़, मनाली, श्रीनगर समेत अन्य दुर्गम एवं खूबसूरत स्थलों तक पहुंचे। किशनगंज लौटने के बाद उन्होंने विशेष बातचीत में अपनी यात्रा की रोमांचक कहानी साझा की।
बंटी ने बताया कि यह सफर केवल किलोमीटरों की दूरी नहीं थी, बल्कि आत्मबल, संकल्प और जुनून की परीक्षा थी। उन्होंने कहा,
“लद्दाख की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, ठंड का प्रकोप और पतली सड़कों पर चलना एक बहुत बड़ा चैलेंज था, लेकिन हौसले ने हार नहीं मानी।”
बंटी पहले भी नेपाल की बाइक यात्रा कर चुके हैं, लेकिन यह उनकी सबसे लंबी, कठिन और रोमांचक यात्रा रही।
उन्होंने बताया कि रास्ते में कई बार मौसम ने धोखा दिया, कई जगहों पर बारिश, कीचड़, बर्फबारी और खराब सड़कों से जूझना पड़ा। लेकिन रास्तों की दुश्वारियों ने कभी भी हौसला कमजोर नहीं किया, बंटी कहते हैं। इस पूरी यात्रा में उन्होंने मनाली-लेह हाइवे, कारगिल, खरदुंगला पास, पैंगोंग झील, नुब्रा वैली जैसे प्रतिष्ठित स्थलों की यात्रा की।
बंटी ने कहा कि हर युवा के भीतर कुछ करने का जुनून होता है, जरूरत है तो बस उसे पहचानने और उस पर विश्वास करने की। तकनीक के इस युग में हम सिर्फ मोबाइल और सोशल मीडिया तक ही सीमित न रहें, बाहर निकलें, खुद को चुनौती दें, और अपनी पहचान बनाएं।
माना जा रहा है कि बंटी सीमांचल क्षेत्र के पहले ऐसे युवा हैं जिन्होंने अकेले बाइक से लद्दाख यात्रा पूरी की है। यह कारनामा न सिर्फ उनके आत्मविश्वास का परिचायक है, बल्कि सीमांचल की प्रतिभा और संभावनाओं को भी उजागर करता है।
उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य पूरे भारत का भ्रमण करना है, साथ ही वे सीमांचल में एक ऐसा बाइकिंग क्लब बनाना चाहते हैं जहां युवाओं को ट्रैवल, फिटनेस, रोड सेफ्टी और देश की विविधता से जोड़ा जा सके।
गौरतलब है कि बंटी एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। हक़ पब्लिक स्कूल के माध्यम से वे शिक्षा के क्षेत्र में गरीब बच्चों को बेहतर भविष्य देने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। उनकी यह यात्रा केवल एक रोमांचक ट्रिप नहीं, बल्कि सीमांचल के युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा भरने का एक माध्यम भी है।
रमीज़ रेज़ा बंटी की यह यात्रा केवल एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि सीमांचल की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा की नई रेखा है।
ऐसे युवा ही सीमांचल की नई पहचान हैं जो न थकते हैं, न रुकते हैं, बस चलते रहते हैं मंज़िल की ओर।