शहर से लेकर गांवों तक मां की पूजा-अर्चना में मगन
पूजा पंडाल में उमड़ी भक्तों की भीड़, आकर्षक ढंग से सजाया गया है पंडाल
अररिया /अरुण कुमार
शारदीय नवरात्र के सप्तमी के मौके पर बुधवार को पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की कालरात्री रूप की पूजा आराधना की। पूजा पंडालों में दिन की आरती में भी बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए।बुधवार को मां के दर्शन को पट खुलना था, इसलिए सुबह से ही बाजारों में चहल-पहल शुरू हो गयी थी।खासकर महिलाओं व बच्चों में काफी उत्सुकता देखी गयी। मां के दरबार का पट खुलते ही पूजा पंडालों में मां के दर्शन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
पूरे शहर में जाम जैसा नजारा दिखने लगा। यह सिलसिला देर रात तक चली।भीड़ के कारण शहर के अंदर वाहनों के श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। हालांकि चौक चौराहे पर पुलिस प्रशासन की भी प्रतिनियुक्ति की थी।पूरा शहर मां की वंदना व स्तुति से गुंजायमान हो रहा है।हर कोई मां की भक्ति में डूबा हुआ है।जबकि मंदिर व पूजा पंडाल को रंग-बिरंगी रोशनियों से नहला दिया गया है। शहर में बनाये गये एक से बढ़कर एक आकर्षक पूजा पंडालों व मां दुर्गा की प्रतिमाओं के दर्शन के लिए बच्चों से लेकर हर उम्र वर्ग की महिला व पुरुषों का जनसैलाब सा सड़क पर उमड़ पड़ा।
विधि-व्यवस्था को लेकर शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिसबलों की तैनाती की गयी है। जिला के वरीय से लेकर सभी तरह के पदाधिकारी दुर्गापूजा को सद्भाव पूर्वक संपन्न कराने में मुस्तैदी दिखा रहे हैं। जबकि मां का पट खुलते ही पंडालों में स्थापित मां के अनेक रूपों के दर्शन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।यह सिलसिला देर रात तक चलती रही।वहीं सप्तमी के अवसर पर दोपहर से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी है।
कालरात्रि का हुआ पूजा, महागौरी का होगा पूजा आज
बुधवार को मां दुर्गा का पट खुलते ही मंदिरों में काफी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ा। इस दौरान खासकर महिलाओं ने मां का पूजा अर्चना के लिए पहुंचे।वही बुधवार को मां कालरात्रि का पूजा अर्चना किया गया। बताया जाता है कि शारदीय नवरात्र के दौरान किये जाने वाले निशा पूजन का एक अलग ही महत्व है। मां शक्ति के सातवें रुप को कालरात्रि के रुप में जाना जाता है।सप्तमी को मां का महास्नान कराया जाता है।इसी दिन रात में निशा पूजा का आयोजन होता है। मंदिर के मुख्य पुजारी के देख रेख में निशा पूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजन में अन्य धार्मिक क्रिया कलापों के अलावा गांव के एक परिवार विशेष द्वारा दी गयी बलि से इसकी शुरूआत होती है।इसमें काले कबूतर व काले छागर की बलि दी जाती है। इस पूजा की शुरूआत बारह बजे रात में होती है,जो अगले दो घंटे तक चलती है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजन को देखने मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती है व मां का आशीर्वाद मिलता है। इस पूजा को देखने के लिये प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में जुटते हैं। नवरात्र को लेकर पूरे शहर में दुर्गा पाठ होता है।बड़ी संख्या में लोग फलाहार व्रत रखते हैं। वहीं कुछ लोग केवल जल पर ही दसों दिन अपना काम चलाते हैं तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।