धर्म/डेस्क
हम कई बार भगवान शिव के दर्शन के लिए शिव मंदिर जाते हैं। वहां जाकर हम भक्ति भाव और धार्मिक विधि-विधान से शिव पूजा भी करते हैं। शिव मंदिर में शिव परिवार के साथ उनके वाहन सहित दर्शन होते हैं।
लेकिन क्या कभी आप धर्म भाव के अलावा यह सोचते हैं कि शिव मंदिर में विराजित यह मूर्तियां व्यावहारिक जीवन की नजर से क्या संदेश देती हैं।
डालिए इसी पर एक नजर
शिव मंदिर में जाते ही सबसे पहले हमें शिव के वाहन नंदी के दर्शन होते हैं। नंदी के बारे में यह भी माना जाता है कि यह पुरुषार्थ का प्रतीक है।
यह तर्क ठीक है, किंतु हर विषय और वस्तु का संबंध आखिरकार पुरुषार्थ से ही जुड़ता है। शिव मंदिर में नंदी की खासियत होती है कि उसका मुंह शिवलिंग की ओर होता है।
आखिर नंदी शिवलिंग की ओर ही मुख करके क्यों बैठा होता है?
जानिए नंदी की इसी मुद्रा का व्यावहारिक जीवन के नजरिए से क्या महत्व है –
नंदी का संदेश है कि जिस तरह वह भगवान शिव का वाहन है। ठीक उसी तरह हमारा शरीर आत्मा का वाहन है। जैसे नंदी की नजर शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी नजर भी आत्मा की ओर हो। इस बात का सरल शब्दों में मतलब यही है कि हर व्यक्ति को अपने मानसिक, व्यावहारिक और वाणी के गुण-दोषों की परख करते रहना चाहिए। मन में हमेशा मंगल और कल्याण करने वाले देवता शिव की तरह दूसरों के हित, परोपकार और भलाई का भाव रखना चाहिए।
नंदी का इशारा यही होता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर व्यक्ति, चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है। इसे ही आम भाषा में मन का साफ होना कहते हैं। इससे शरीर भी स्वस्थ होता है और शरीर के सेहतमंद रहने पर ही मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है। इस प्रकार संतुलित शरीर और मन ही हर कार्य और लक्ष्य में सफलता के करीब ले जाता है।
इस तरह अब जब भी मंदिर में जाएं शिव के साथ नंदी की पूजा कर शिव के कल्याण भाव को मन में रखकर वापस आएं। इसी शिवतत्व को जीवन में उतारना कहा जाता हैं।
साभार इंटरनेट