मगध की सेना जब चलती थी तो उसके धूल से सूर्य छिप जाते थे- विकास वैभव

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कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):

प्राचीन बिहार छोटे छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। उस समय हमारे शासकों ने सम्मिलित प्रयासों एवं बृहत सोच के साथ वर्तमान सामायिक परिस्थितियों एवं चुनौतियों का सामना किया। तिब्बत की आधुनिक सोच बिहार के हीं विक्रमशिला से हुई। मगध की सेना जब चलती थी तो उसके धूल से सूर्य छिप जाते थे। उस समय उन सभी अलग अलग राज्यों के शासकों ने अपने बृहत दृष्टि से मगध के शौर्य को स्थापित किया वह भी तब जब कोई विश्व फतह करने निकला हो। महाभारत में भी जरासंध के प्रताप को भगवान श्रीकृष्ण ने उल्लेख किया है।

उक्त बातें शनिवार शहर के लिच्छवी भवन में लेट्स इंस्पायर बिहार कैमूर अध्याय द्वारा आयोजित युवा संवाद में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे गृह विशेष सचिव आईपीएस ऑफिसर विकास वैभव ने अपने संबोधन में कहा। उन्होंने आगे कहा की आखिर वेदांत की इस ऐतिहासिक भूमि में कुछ तो बात रही होगी जहां एक से बढ़कर एक ज्ञान एवं शौर्य की अध्याय शामिल है। हमारे पूर्वजों की सोच बड़ी थी तभी तो मगध का विस्तार अफगानिस्तान के पार तक था। वर्तमान बिहार में अगर रोजगार की समस्या है तो हमें संभावनाओं पर चिंतन करना होगा। यदि आप गुजरात के युवाओं से संवाद करेंगे तो उनका सोच उद्योग एवं उद्यमिता विषय केंद्रित होता है लेकिन हमारे युवा वर्ग इस सोच में उलझे हैं कि हमारे जाति के नेता कितने है और बाहुबली कितने है।


उन्होंने कहा कि रोहतास गढ़ पर विजय हासिल करने वाले अफगान शासक शेरशाह सूरी ने बल के बजाय छल का प्रयोग किया। अगर वे सीधे विजय प्राप्त कारण चाहते तो शायद नहीं कर पाते। जब बी टेक की पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय बिहार में पकरौआ विवाह अपने चरम पर था इसके परिणाम स्वरूप त्योहारों की छुट्टियां अपने गांव के बिताने के बजाय आईआईटी के हॉस्टल में बितानी पड़ती थी। जिस प्रकार नदी की धारा जब बहती रहती है तो पानी शुद्ध रहता है ठीक उसी प्रकार अगर बिहार की वेदांतरूपी विरासत निरंतर आगे बढ़ता रहता तो शायद वर्तमान समय में हमारे युवा पीढ़ी को अपने शिक्षा प्राप्ति के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ता।


उन्होंने कहा कि भिन्नता में भी एकता का प्रतीक है बिहार। अपने हीं ग्रंथो को आत्मसात करके स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व को प्रेरित कर दिया। मौके पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी रामाधार पांडे, शिक्षाविद् दिनेश सिंह, नीलिमा श्रीवास्तव, शंकर कैमूरी, लव कुमार सिंह ने भी अपने अपने विचार रखे। कार्यक्रम के आयोजन में जितेंद्र यादव, दीपक तिवारी, शिवम कुमार, संदीप चतुर्वेदी, राकेश कृष्ण यादव, राकेश तिवारी, अनामिका सिंह, माधुरी मिश्रा एवं रामगढ़ के ओम प्रकाश तिवारी की प्रमुख भूमिका रही। मंच संचालन रत्नेश चंचल ने किया वहीं डी ए वी भभुआ के बच्चों एवं शिक्षकों की उपस्थिति रही।

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मगध की सेना जब चलती थी तो उसके धूल से सूर्य छिप जाते थे- विकास वैभव

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