बिहार /कटिहार /रितेश रंजन
घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने साधी चुप्पी
कटिहार के सदर अस्पताल की कुव्यवस्था के कारण एक मरीज ने अस्पताल गेट के समक्ष तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ दिया। उस मरीज को अगर सही समय पर उपचार मिल जाता तो आज वह मरीज जिंदा होता। कहने को तो यह जिला अस्पताल है। लेकिन जिला अस्पताल वाली कोई बात नहीं है, इस जगह पर ,इस घटना को लेकर प्रत्यक्षदर्शियों के द्वारा बताया गया कि 10:30 बजे एक व्यक्ति सदर अस्पताल काफी बीमार हालत में पहुंचा और गेट के समक्ष ही वह बैठ गया।
उसके कपड़े काफी गंदे थे और वह उसी जगह गिर पड़ा और तड़पने लगा। वहां मौजूद लोगों ने जब उस व्यक्ति को तड़पते देखा तो उनके द्वारा अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को यह बात बताई गई। लेकिन डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मी यह बातें सुनकर भी उस मरीज को देखने की जहमत तक नहीं उठाई।

नतीजा यह हुआ कि वह मरीज थोड़ी देर के बाद तड़प तड़प कर अस्पताल गेट के समक्ष ही दम तोड़ दिया। जब उस व्यक्ति की मौत हो गई तो अस्पताल के डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मियों से सवाल किया गया तो वह लोग कुछ बोलने से कतराने लगे और कहा कि इस मुद्दे पर सिविल सर्जन ही कुछ बोलेंगे। जब मीडिया कर्मी सिविल सर्जन के पास यह सवाल लेकर पहुंचे तो उन्होंने बेतुका सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हम इस मामले में कुछ नहीं बोल सकते। हम ऑथराइज्ड नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि जब अस्पताल के वरीय पदाधिकारी इस तरह का वक्तव्य देंगे तो आप सोच सकते हैं कि उनके नीचे काम करने वाले डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मी का क्या हाल होगा।
आज जो यह घटना घटी है यह कोई नई बात नहीं है कई बार इस तरह की घटनाएं घट चुकी है अस्पताल में हंगामा भी काफी हुआ है लेकिन आज के इस मामले कोई संज्ञान इसलिए नहीं लिया गया ,क्योंकि वह व्यक्ति अज्ञात था। कपड़े काफी गंदे पहने हुए थे। जिसके कारण उस व्यक्ति को सही समय पर इलाज नहीं हो पाया।
आज की घटना से यह साफ साबित होता है कि स्टैंडर्ड के आधार पर आप का इलाज सदर अस्पताल में होगा। कहने को तो यह गरीबों का अस्पताल है। लेकिन डॉक्टर लोगों के हावभाव और कपड़े के पहनावे को देखकर ही इलाज करते हैं। अगर आप गंदे कपड़े पहन कर चले जाएं तो आप का इलाज सदर अस्पताल में नहीं होगा