सुशील
ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बना रहा हैशटैग #industryinbihar
सोशल मीडिया के एक प्रमुख प्लेटफार्म ट्विटर पर #industryinbihar अभी जोर शोर से ट्रेंड करता हुआ दिख रहा है।
एक लाख से भी ज्यादा ट्वीट ये बता रहे हैं कि कोरोना संकट के मध्य बिहार के युवाओ का ये अभियान अब बिहार के उदासीन औद्योगिक हालात पर दुनियाभर की सुर्खियां बटोर रहा है।
जब बात बिहार के औद्योगिक ढाँचे पर नजर डालने की हो तो प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालें तो पाएँगे कि
बिहार में 50 से ज्यादा इंडस्ट्रियल एरिया और मेगा इंडस्ट्रियल पार्क है ।
राज्य मुख्यतया कृषि कार्यों पर आर्थिक रूप से निर्भर है और यही कारण है कि देश मे सब्जियों , तम्बाकू, जूट, एवम मखाना के उत्पादन में बिहार अपनी खास पहचान रखता है।
देश के 80% मखाना का उत्पादन अकेले बिहार करता है ।
यही नही भौगोलिक स्थिति के हिसाब से देखे तो पूर्वोत्तर तथा उत्तरी भारत से जुड़े होने के साथ साथ इसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल से लगती है।
इस भौगोलिक क्षेत्र का फायदा इसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के साथ ही मध्य भारत तक आसानी से जोड़ देता है।
प्रमुख राज्य सड़क मार्ग एवम राष्ट्रीय सड़क मार्ग के तंत्र से कई जिले जुड़े हुए हैं।
परंतु इतने अच्छे आधिकारिक एवम मूलभूत संरचनाओं के होते हुए बिहार फिसड्डी क्यों बनता गया ?
बिहार के पिछड़ेपन का प्रमुख और एकमात्र कारण जो नजर आता है वह है यहाँ की सरकारी उदासीनता और लापरवाह तंत्र ।
राज्य में एक समय जहाँ 28 चीनी की कारखाने थी, वहीं अब इन 28 मे से मात्र 9 कारखाने ही काम कर रही हैं।
जूट की कई मीले थी। आज लगभग खत्म होने के कगार पर है।
90 के दशक में अपराध एवम अपराधियों की हरकतों से त्राहि त्राहि करता था बिहार , शायद यही कारण था कि बिहार से पलायन बड़े स्तर पर हुआ ।
बड़े प्रोजेक्ट्स को करने के लिए रंगदारी टैक्स, एवम न देने पर इंजीनियर , ठीकेदार को किडनैप एवम हत्या कर देना आम बात होती थी। इस कारण ही बड़े उद्योगपति भी नही आना चाहते थे बिहार ।
ऐसे ही बातें ट्विटर पर लोगों द्वारा भी साझा की गई,
इस ट्विटर युद्ध में किसी ने कहा कि हम अब बाहर नही जाना चाहते मजदूरी करने, जितने मेहनत और खून पसीने से हमने दूसरे राज्यों को बनाया अब बिहार को बनाएंगे।
एक यूजर ने बिहार के जूट उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रो , जिलों में किसानों की दुर्दशा को दूर करने के लिए आवश्यक कदम सुनिश्चित करने की मांग की ।
कुल मिलाकर यदि कहा जाए तो फिलहाल लोग यही चाहते हैं कि अब उनके गृह राज्य में ही उद्योग धंदे शुरू किए जाए जिससे उन्हें किसी और राज्य की तरफ देखना न पड़े।
शायद ये आनेवाले चुनावी मौसम एवम मुद्दे क्या होंगे इनकी झलक भर हैं।