किशनगंज/विजय कुमार साहा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर टीईटी शिक्षकों के प्रति एक शब्द ना बोलना उसकी दोहरी मानसकिता को दर्शता है। कई राज्यों में टीईटी शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान सहित राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त है। बिहार स्टेट उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के जिला सचिव आई एच रब्बानी ने कहा कि बिहार सरकार टीईटी जैसे कठिन परीक्षा पास योग्य शिक्षकों को नियोजित के संवर्ग में रख कर इन शिक्षकों का मनोबल को तोड़ने का काम कर रही है।
सरकार नियमित शिक्षकों के संवर्ग को खत्म कर योग्य शिक्षकों को भी नियोजित बना कर शिक्षा और शिक्षकों के साथ भद्दा मजाक कर रही है। नियोजित शिक्षकों की मांगों को जिस तरह बिहार सरकार अनदेखी कर रही है,इसका जवाब शिक्षक समय आने पर देंगे।
आगे उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पारा-78 में स्पष्ट कर दिए हैं कि टीईटी पास शिक्षकों को बेहतर स्केल दिया जाए ताकि विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। लेकिन सरकार द्वारा बार-बार टीईटी शिक्षकों के मांगों को दरकिनार किया जा रहा है,ऐसे में सरकार की नीति और नियत दोनों में खोंट नजर आता है।
सरकार अभिलंब अन्य राज्यों के टीईटी शिक्षकों के भांति बिहार के टीईटी शिक्षकों को भी राज्यकर्मी का दर्जा एवं पूर्ण वेतनमान देकर इंसाफ करे। अन्यथा सभी टीईटी शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगी।