किशनगंज /विजय कुमार साह
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रेतुआ व कनकई नदी के कटाव से प्रभावित गांवों को बाढ़ से पूर्व बचाने हेतु जिला परिषद खोशी देवी , प्रखंड प्रमुख केशर रजा एवं मटियारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सफदर हुसैन,डाकपोखर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मनोज यादव, समिति निखिल चंद्र दास, तौसीफ आलम, नूर आलम, अब्दुल कयूम ,आसिफ आलम, आदि जनप्रतिनिधियों के तरफ से जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश को आवेदन सौंपकर बाढ़ व कटाव रोधी कार्य कराने की मांग की गई।
जिसमें कहा गया कि बाढ़ से पूर्व रेतुआ व कनकई नदी से बाढ़ व कटाव प्रभावित गांवों को बचाने के लिए अनुरोध किया गया है ।साथ हीं साथ क्षेत्र में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, मनरेगा योजना में हो रहे अनियमितता की गड़बड़ी पर भी जिला पदाधिकारी को अवगत कराया गया है । जिला परिषद खोशी देवी ने बताया कि जिला पदाधिकारी के तरफ से विभागीय कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। ज्ञातव्य हो कि टेढ़ागाछ प्रखंड होकर बहने वाली रेतूआ व कनकई नदी हर वर्ष दर्जनों गांवों को बाढ़ व कटाव के चपेट में लेकर तबाही मचाती है जिससे कई गांवों का वजूद मिट गया है ।
सैकड़ों परिवार विस्थापित होकर दरबदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। प्रखंड प्रमुख केशर रजा ने बताया कि बार बार आवेदन देने के बाद भी अबतक कनकई नदी बाढ़ व कटाव रोधी कार्य न होने के कारण माली टोला गांव के 77 परिवार वर्ष 2020-21 में नदी में पुरी तरह से विलीन हो चुके हैं ।और वर्तमान समय में गर्राटोली,सुन्दरबाड़ी, मटियारी,कुर्राटोली,बाभनटोली, मालीटोला गांव अन्तर्गत गैस गुदाम, मटियारी पंचायत भवन, मध्य विद्यालय मटियारी, उपस्वास्थ्य केंद्र मटियारी, आंगनबाड़ी केंद्र, पोस्टआफिस, सामुदायिक भवन,मां दुर्गा मंदिर,जमा मस्जिद, प्राथमिक स्कूल भवनों सहित महत्वपूर्ण भवनों पर बाढ़ व कटाव का खतरा मंडराने लगा है।
वहीं टेढ़ागाछ से जिला मुख्यालय जानेवाली पीडब्ल्यूडी मुख्य सड़क, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क, प्रधानमंत्री सड़क, के कट जाने का खतरा भविष्य में मंडरा रहा है। तो वहीं मालीटोला गांव से दक्षिण दिशा में जाने वाली पुरानी धारा है जो बाढ़ के समय नदी का रुप धारण कर लेती है। अगर बाढ़ से पूर्व नदी की धारा को नहीं रोका गया और कटाव रोधी कार्य नहीं किया गया तो कनकई नदी इस धारा होकर चंदर गांव पुल के पास से बहने लगेगी जिससे दर्जनों गांव तबाह और बर्बाद हो जाएंगे। और करोड़ों की लागत से निर्मित लौचा पुल केवल शोभा का वस्तु बनकर रह जाएगा।
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