टेढ़ागाछ/किशनगंज /प्रतिनिधि
महानंदा बेसिन परियोजना के तहत टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में रेतुआ नदी के दोनों किनारे बनने वाली तटबंध के लिए प्रस्तावित नक्शे को लेकर टेढ़ागाछ के किसानों ग्रामवासियों को आपत्ति है।उनका कहना है कि वे इस नदी के किनारे सदियों से गुजर बसर करते रहें हैं।नदी में बाढ़ आने के दौरान इस नदी के किनारे 100 मीटर की दूरी पर बसे गाँव के लोगों को बाढ़ में बहने का डर नहीं रहता क्योंकि उनका मानना है कि गाँव के बाहर खुला रहने से बाढ़ का पानी आसानी से गाँव से बाहर निकल जाता है।
लेकिन जब गाँव के बाहर सरकार इस परियोजना द्वारा तटबांध निर्माण करा देगी तो यहाँ की आबादी बाँध के बीच तबाह हो जाएगी।इस बाबत शुक्रवार को टेढ़ागाछ के जनप्रतिनिधियों ने किशनगंज जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से मिलकर ज्ञापन सौपते हुए प्रस्तावित नक्शे में संशोधन करने की गुहार लगायी है। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली रेतुआ नदी पर बनने वाले तटबंध के नक्शा में संशोधन के लिये क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों व समाजसेवकों ने आवेदन के माध्यम से जिलाधिकारी को बाँध के वर्तमान नक्शे से होने वाली परेशानियों से अवगत कराया गया है।
आवेदन में बाँध के लिए वर्तमान नक्शे से आशा,धापरटोला ,मुशाहरा ,लोधाबारी ,डोरिया, कजलेटा आदि दर्जनों गांव के बगल से बाँध निर्माण होने के कारण लोगों का घर, बगीचा, कीमती व उपजाऊ भूमि नुकसान होगा, इसके साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क सड़क, कई सरकारी विद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थान तटबंध के बीच में आने से नदी की तेज धारा में जान माल की तबाही होने की आशंका जताई गई है। इन क्षेत्रों में ज्यादातर किसान एवं मजदूर परिवार गुजर बसर करते हैं।
जो अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए खेती व मजदूरी करते हैं। इसलिए जन प्रतिनिधि एवं समाजसेवकों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि पुनः बाँध का निरीक्षण कर नक्शा में संशोधन करवाई जाए। जिससे आम जनों को सरकार की योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ मिल सके। इस दौरान अमौर विधायक अख्तरूल इमाम, जिला परिषद प्रतिनिधि अकमल समसी,पूर्व मुखिया अबसार आलम, समाजसेवी समीम,जमील आदि मौजूद थे।