माता बैठक से टीकाकरण के प्रति जागरूक हो रहीं महिलाएं

किशनगंज /प्रतिनिधि
नियमित टीकाकरण से वंचित दो साल तक के बच्चे व गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित करने के उद्देश्य से जिले के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर एएनएम् , आशा एवं आंगनबाड़ी सेविका सहित नजदीकी माताओं के साथ बैठक का आयोजन किया जा रहा है जिसका उधेश्य गांव की गर्भवती महिला व धात्री माताओं के माध्यम से बच्चों के नियमित टीकाकरण, स्तनपान, तथा उन्हें ऊपरी आहार तथा साफ सफाई रखने सहित अन्य तमाम जानकारी शिशुओं के माताओं को दिया गया। साथ ही गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण, एनेमिया का जांच कराने तथा आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम का नियमित सेवन करने सहित पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गई। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की माता बैठक में गांव की सभी महिलाओं को आमंत्रित किया जाता है और टीकाकरण के बारे में उन्हें जानकारी दी जाती है. साथ ही आसपास के लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने की अपील की जाती है.
रात को भी मां को कम से कम बच्चे को दो बार दूध पिलाना आवाश्यक है।
सदर अस्पताल के महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यस्मिन ने बताया की माता बैठक में एएनएम् के द्वारा माताओं को समझाया जाता है की जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक शिशुओं को स्तनपान करना सीखने में समय लगता है, ऐसे में हो सकता है कि कम अंतराल पर दूध पिलाना पड़े लेकिन धीरे-धीरे तीन-चार घंटे का एक चक्र बन जाता है और रात को भी मां को कम से कम बच्चे को दो बार दूध पिलाना आवाश्यक है।उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि बच्चे की जरूरत के अनुसार मां को दूध नहीं होता है तो मां को सबसे पहले खान-पान में पोषक पदार्थों की मात्रा बढ़ानी चाहिए तथा उन्हें ज्यादा पानी पीना चाहिए और तनाव नहीं लेना चाहिए, इससे मां को ज्यादा दूध बनेगा। उन्होंने बताया कि बिना डॉक्टर की सलाह लिए फॉर्मूला मिल्क शिशुओं को न दें।
हर मां अपने बच्चों को जन्म के 1 घंटे बाद शिशु को दूध पिलाना आवश्यक
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य सुविधा का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कई तरह की योजना चलाया जा रहा है। इसी क्रम में आंगनबाड़ी केन्द्रों में माता बैठक का आयोजन किया जा रहा है जिसके माध्यम से ग्रामीणों को जागरुक होकर इसका लाभ लेने की जरूरत है। उन्होंने गर्भवती माताओं को नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी आशा अपने क्षेत्र का नियमित भ्रमण कर नवजात शिशुओं की उचित देखभाल के लिए प्रेरित कर रहे है तथा नवजात बच्चे की मां को जानकारी दिया जा रहा है। जन्म के एक घंटा बाद माता का गाढ़ा दूध शिशु के लिए वरदान है। इसलिए हर मां अपने बच्चों को जन्म के 1 घंटे बाद शिशु को दूध पिलाने का काम करें। कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, कहानी गीत, नृत्य के माध्यम से स्वास्थ्य के प्रति ग्रामीणों को जागरुक किया जा रहा है । इस दौरान माता और शिशु मृत्यु दर को कैसे कम किया जाए, गर्भवती व धात्री माताओं के टीकाकरण के साथ.साथ प्रसव के दौरान अस्पताल ले जाने के लिए जागरुक किया जा रहा है ।
एएनसी जांच व प्रसव सेवाओं की मजबूती का हो प्रयास
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा कि सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसे लेकर जरूरी कदम उठाये गये हैं। संबंधित मामलों का नियमित रूप से निरीक्षण व अनुश्रवण किया जा रहा है। बावजूद एएनसी जांच व प्रसव संबंधी मामलों में कुछ प्रखंडों का प्रदर्शन जिले के औसत से कम है। इसमें सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच के दायरे में लाने व संस्थागत प्रसव के मामलों में बढ़ोरती को लेकर उन्होंने जरूरी दिशा निर्देश दिये। इसके लिये उन्होंने अधिक से अधिक संस्थानों में प्रसव सेवा बहाल करने क निर्देश दिया।