अररिया /अरुण कुमार
खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगाकर केंद्र सरकार ने अपनी नियत को इस तरह दर्शाने का काम किया है जिसे लोग आईने में साफ-साफ देख सकता है। वर्तमान केंद्र सरकार की नीयत और नीति पर पूरे देशवासियों को पहले ही विश्वास समाप्त हो ही गया था। लेकिन वर्तमान में खाने-पीने की समान पर जीएसटी लगाना गरीब, किसान, मजदूर के पेट पर खंजर भोंकने के समान है । उक्त बातें राजद जिला उपाध्यक्ष अमित पूर्वे ने मीडिया से कहा ,आज देश में महंगाई दर लगभग 8% है, जीडीपी बराबर घटता जा रहा है, रुपयों का वैल्यू कम होते जा रहा है, देश में आर्थिक संकट मंडरा रही है, ऐसी परिस्थिति में देश के गरीबों, मजदूरों, किसानों के खाने-पीने की सामग्री पर जीएसटी लगाना सरा- सर कर्तव्य हीनता का प्रतीक देश की जनता के प्रति लग रहा है।
जहां देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी से देश की जनता तवाह और परेशान है ऐसे वक्त में देश की जनता के साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार करना केंद्र सरकार की मानसिकता को दर्शाता है, कि यह सरकार गरीब विरोधी है। जो बड़े-बड़े पूंजी पतियों का खजाना भरने का काम करती है। सरकार को जवाब देना चाहिए जिस देश में मजदूर ₹300 प्रतिदिन की दर से मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण करती है ।
तो ऐसे देश के गरीब के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं देश की स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए गरीबों,मजदूरों के हक में खाद सामग्री पर लगाए गए जीएसटी को वापस ले लेना चाहिए, यदि सरकार जीएसटी वापस नहीं लेती है खाद सामग्री पर से तो ऐसी स्थिति में गरीब किसान मजदूर के साथ अपराध होगा और और ऐसे मजदूर इस देश में दम तोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे और राजद ऐसे मजदूरों के हक और हुकूक के लिए, गरीबों के स्वाभिमान के लिए, किसानों के आत्म सम्मान के लिए हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगी। जरूरत पड़ने पर आंदोलन भी करने को मजबूर हो जाएगी।