किशनगंज /प्रतिनिधि
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री संगीतश्री जी एवम सहवर्ती साध्वीवृंद के पावन सानिध्य में भव्यांशी दफ़्तरी के अठाई के तप का स्थानीय तेरापंथ सभा, महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, अणुव्रत समिति, ज्ञानशाला द्वारा अभिनंदन किया गया।

साध्वी श्री संगीतश्री जी ने बताया जैन धर्म में तपस्या का महत्त्वपूर्ण स्थान है। तप के प्रभाव से मनुष्य अचिन्त्य शक्तियों और लब्धियों को प्राप्त कर लेता है। भगवान महावीर ने इसे कर्म निर्जरा का श्रेष्ठ साधन बताया है। 12 वर्ष की छोटी उम्र में दृढ़-संकल्प की धनी भव्यांशी ने अठाई कर नए इतिहास का सृजन किया है। अठाई अर्थात 8 दिनो तक निराहार रहना। यह उनके अदम्य साहस, संकल्प व तप के प्रति सुदृढ़ आस्था जाहिर करता है। सुदृढ़ मनोबल वाला व्यक्ति ही तपस्या के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। तपस्या में शरीरबल से ज्यादा मनोबल एवं संकल्प बल काम करता है।
तेरापंथ महासभा के संरक्षक राज करण दफ़्तरी ने पौत्री भव्यांशी के तप की खूब खूब अनुमोदना की और बताया कि इतनी भीषण गर्मी में तप करना काफ़ी कठिन होता है परंतु यह तप करके उसने कर्म निर्जरा के साथ सुदृढ़ मनोबल का परिचय दिया है।
सभा अध्यक्ष विमल दफ़्तरी, नेपाल बिहार झारखंड उपाध्यक्ष चैनरूप दुगड, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा संतोष दुगड़, तेयूप मंत्री दिलीप सेठिया,अणुव्रत समिति अध्यक्ष संजय बैद, ज्ञानशाला संयोजक कुसुम बैद, विनीत दफ़्तरी ने उनके तप की खूब खूब अनुमोदना की। विदित हो भव्यांशी तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अमित दफ्तरी की पुत्री है।
दफ़्तरी परिवार एवं ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओ ने गीतिका द्वारा तप अनुमोदना की।कार्यक्रम का सफल संयोजन कमल छोरिया ने किया।