कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):
मुंडेश्वरी महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को सुर-लय-ताल की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। इस दौरान आस्था के स्वरों से मां मुंडेश्वरी दरबार गुंजायमान होता रहा और मां के दरबार में स्वरों से साधना भी हुई। शाम से ही दरबार में आस्था के स्वरों का नाद शुरू हुआ तो मुंडेश्वरी दरबार में आस्था के सैकड़ों पग अनवरत पहुंचने लगे। हर हर महादेव के साथ जय मातादी का उद्घोष हुआ और सुरों से साधना का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक आस्था में रचे पगे स्वरों के साथ कलाकारों ने समा बांध दिया। मां के दरबार में स्वर और नाद के साथ की कदमों की थाप से शनिवार को दूसरी निशा में आस्था का गान ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और सद्भाव का भी अनोखा संगम नजर आया। स्वरों को साधने वालों ने मां के दरबार में आस्था के स्वरों को साधा तो तान छेड़कर समरसता और सद्भाव को अनंत ऊंचाइयां दीं। जैसे जैसे रात गहराती गई वैसे वैसे ही सुर गंगा कैमूर की पहाड़ी में मानो आयोजन के जरिए आकाश गंगा का रूप लेती नजर आयी। साधकों ने सुरों को साधा तो सांस्कृतिक का अनोखा आकर्षण महसूस कर सुरों के चाहने वाले भी आस्था से ओत प्रोत हो उठे।

मुंडेश्वरी के दरबार में आराधना के साथ दुसरी निशा का आरंभ 6 बजे के बाद शुरू हुआ तो धार्मिक स्वरूप से मंच जीवंत हो उठा। इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत लोकगीत गायक अवधेश कुमार ने अपनी गायकी से शुरू किया तो श्रोताओं की तालियों ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां देने लगी। इसके बाद नालंदा संगीत कला विकास संस्थान के कलाकारों ने सोहर, झूमर व लोक गीत की प्रस्तुति दी। वहीं शुद्ध तीन ताल में पारंपरिक कथक लवण्डा राज के बाद इस महोत्सव के मुख्य कलाकार भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने अपनी पहली प्रस्तुति छठ गीत.. केरवा जे फरेला गवद में.. के जरिए समा बांध दी। इसके बाद निमिया के डाढ मैया झूलेली… जैसी अनेकों प्रस्तुति से कल्पना पटवारी ने भव्य मंच के जरिए हजारों श्रोताओं का दिल जीत ली। इस कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान, डीडीसी कुमार गौरव, एडीएम, डीआरडीए, अजय तिवारी, सचिव अशोक सिंह, एसडीपीओ भभुआ सुनीता कुमारी, भगवानपुर मुखिया सह मुखिया संघ प्रखंड अध्यक्ष भगवानपुर उपेंद्र पांडे सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।