नन्हे बच्चे के रोजा रखने से घर में खुशी का माहौल

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किशनगंज /इरफान 

रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है । माहे रमजान शुरू होने के बाद इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोग खुदा की इबादत में जुटे हुए हैं ।उसी क्रम में 8 साल के वासिफ रजा ने रोजा रखा जिसके बाद परिवार में खुशी का माहौल है ।

उलेमाओं का कहना है कि बच्चों का प्रशिक्षण तब शुरू होना चाहिए जब वे माँ के गर्भ में हों। माता-पिता अक्सर शिकायत करते हैं कि मेरा बच्चा अवज्ञाकारी निकल गया और मुझे प्रताड़ित करता है। 

अगर उनसे पुछा जाऐ की बचपन में उसकी प्रशिक्षण के लिए क्या उपाय किया था, क्या – क्या कदें उठाऐ थे, तो इसका जवाब नहीं में अऐगाl इस्लाम में बच्चों का प्रशिक्षण को बहुत महत्व दी गई है। हदीस में आता है कि जब तुम्हारी संतान सात साल कि हो जाऐ तो उसे नमाज़ का आदेश दिया करों। 

जब वे दस साल की उम्र तक पहुँच जाऐ और वे नमाज़ नहीं पढ़ते हैं, तो उन्हें हल्की सजा दें और उनके बिस्तर अलग कर दें। रमजान के महीने में छोटे बच्चे जब पहली बार नमाज़ पढ़े या रोजा रखें तो पूरे घर में खुशियों के बादल छा जाते हैं। 






रमजान के महीना आने पर बड़ो के साथ – साथ बच्चों में भी नमाज़ व रोजा का सौख देखा जाता है l 

इस कड़ी में पोठिया प्रखंड के जहांगीरपुर पंचायत के देहलबाड़ी निवासी एंव मस्जिद अता -ऐ-रसूल अजमेर नगर भेवंडी के खतीब व इमाम मौलाना मोहम्मद रफीक आलम के पुत्र वासीफ रजा उम्र आठ साल ने इस गर्मी की तपिश में रमजान का पहला रोजा बड़े उत्साह से रखा, जिसे परिवार के सभी सदस्यों, रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोगों ने बधाई दी है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। रमजान के पहले रोजा रखने पर नाना सिराज उद्दीन, नानी नूर बानु बेगम, मामा नुर सोहेल, खाला मासूमा जहां, सबिहा नाज़ परवीन, रुखसार परवीन, खालू असीर उद्दीन, अब्दुल सुभहान, मोहम्मद काबुल, बडे़ अब्बु इंतिखाबुर रहमान, जमील अख्तर ने बाबु वासिफ रजा की अच्छे भाग्य और सुरक्षा के लिए दुवांऐ दी और उनके माता-पिता को बधाई दी।











नन्हे बच्चे के रोजा रखने से घर में खुशी का माहौल

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