जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र 

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किशनगंज /प्रतिनिधि 

जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक कोचाधामन मुजाहिद आलम ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर एएमयू सेंटर किशनगंज के समस्याओं का निदान कर जल्द फंड रिलीज की मांग की है। मुजाहिद आलम ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि एएमयू सेंटर किशनगंज की स्थापना के लिए बिहार सरकार ने 30 दिसम्बर 2011 को 224.02 एकड़ भूमि एएमयू को निशुल्क उपलब्ध कराया था। महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 2013 में एएमयू सेंटर किशनगंज को स्थापित करने की मंजूरी दी गई।

 सितम्बर 2013 में बीएड की पढ़ाई के साथ एएमयू सेंटर किशनगंज की शुरुआत हुई और 2014 से एमबीए की पढ़ाई की शुरुआत हुई।28 फरवरी 2014 को UGC विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की Expenditure Finance Committee (EFC) ने एएमयू सेंटर किशनगंज के लिए 136.82 करोड़ रूपिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृति दी। परंतु 03-12-2015 को मात्र दस करोड़ रुपए एएमयू सेंटर किशनगंज के लिए रिलीज किए गए।जिसका उपयोगिता प्रमाण पत्र एएमयू ने 31-03-2017 को समर्पित किया। बारहवीं पंचवर्षीय योजना का टर्म पूरा होने पर एएमयू कुलपति ने एएमयू सेंटर किशनगंज के लिए 83.18 करोड़ रुपए का प्रोपोजल दिनांक 05-10-2017 को यूजीसी/केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा।बार बार यूनिवर्सिटी के आग्रह पर भी अभी तक कोई फंड रिलीज नहीं किया गया है।






जिस कारण एएमयू सेंटर किशनगंज आर्थिक बुहरान से गुजर रहा है। जूलाई 2017 में मांझी परगना अभेन बैसी के तरफ़ से मुकेश हेमबरम उर्फ मुंशी हेमबरम एनजीटी पूर्वी जोन कोलकाता में OA-126/2017(EZ) केस दायर कर एएमयू सेंटर किशनगंज को हस्तांतरित 224.02 एकड़ जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की।OA-126/2017(EZ) में एनजीटी दिल्ली बेंच ने 18-02-2019 को अपने फैसले में बिना NMCG/राष्ट्रीय स्वक्ष गंगा मिशन नई दिल्ली के अनुमति के उक्त 224.02 एकड़ भूमि पर सभी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया गया। जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार एवं एएमयू प्रशासन द्वारा बार बार NMCG से आग्रह करने के बावजूद अभी तक निर्माण कार्य प्रारंभ करने की अनुमति नहीं दी गई है।जिस कारण एएमयू सेंटर किशनगंज को फंड रिलीज भी नहीं हो पा रहा है। 

एएमयू किशनगंज सेंटर के लिए 29 टीचिंग एवं 19 नन टीचिंग पदों को स्वीकृत करने की मांग बार बार यूजीसी/शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार से की जा रही है। परंतु अभी तक उक्त पदों की स्वीकृति नहीं दी गई है। जिस कारण अभी तक यूनिवर्सिटी द्वारा गेस्ट टीचरों के भरोसे सेंटर को चलाया जा रहा है।2018-19 से बीएड की भी मान्यता को NCTE क्षेत्रीय कार्यालय भुबनेशवर ने यह कह कर रद्द कर दिया है कि एएमयू सेंटर किशनगंज को अपना इंफ्रास्ट्रक्चर/ भवन नहीं है।जिसका मामला पटना उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। एएमयू सेंटर किशनगंज फिलहाल बिहार सरकार द्वारा मुफ़्त में उपलब्ध कराए गए बालक एवं बालिका छात्रावास में चल रहा है। बिहार सरकार द्वारा 10.47 करोड़ की लागत से दो सौ -सौ बेड के छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा ताकि आने वाले शैक्षणिक सत्र से LLB की पढ़ाई शुरू की जा सके। एएमयू सेंटर किशनगंज के लिए फंड रिलीज नहीं होने के कारण अभी एएमयू सेंटर मल्लापुरम से दो करोड़ रुपए डाईवर्ट कर सेंटर चल रहा है।

जारी पत्र में श्री आलम ने लिखा है कि जैसा कि आप जानते हैं किशनगंज जिला एक अल्पसंख्यक बाहुल्य जिला है। यहां के अल्पसंख्यक आर्थिक रूप से एवं शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़े हैं।ऐसे में एएमयू सेंटर किशनगंज को फंड रिलीज कराने,एनएमसीजी, नई दिल्ली से एएमयू सेंटर किशनगंज को हस्तांतरित 224.02 एकड़ भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दिलाने एवं यूजीसी/शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार से सभी 29 टीचिंग एवं 19 नन टीचिंग पदों की स्वीकृति दिलाने में आपके विशेष पहल की आवश्यकता है। 











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जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने पीएम मोदी को लिखा पत्र 

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