देश /एजेंसी
भारतीय रेल के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा जब खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंजन पर सवार होकर कवच प्रणाली का परीक्षण किया ।वहीं दूसरे इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। दोनों ट्रेनों को आमने सामने चलाई गई
मालूम हो कि श्री वैष्णव ने दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच ‘कवच’ कार्य प्रणाली के परीक्षण का निरीक्षण किया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ श्री वी.के. त्रिपाठी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
उनके द्वारा, ‘कवच’ का व्यापक परीक्षण किया गया। मंत्री श्री वैष्णव उस स्वचालित इंजन पर सवार थे जो गुल्लागुडा से चिटगिड्डा की ओर गया। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ श्री वी. के. त्रिपाठी उस स्वचालित इंजन पर सवार थे जो चिटगिड्डा से गुल्ला गुडा जा रहा था। परीक्षण के दौरान, दोनों इंजन आमने-सामने आ गए और टक्कर की स्थिति उत्पन्न की गई। ‘कवच’ प्रणाली ने स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम का इस्तेमाल शुरु किया और इंजनों को 380 मीटर की दूरी पर रोक दिया। साथ ही, लाल सिग्नल को पार करने का परीक्षण किया गया; हालाँकि इंजन ने लाल सिग्नल को पार नहीं किया क्योंकि ‘कवच’ के लिए स्वचालित तरीके से ब्रेक लगाना आवश्यक हो गया था।
रेल मंत्रालय द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि गेट सिग्नल के पास आने पर स्वचालित सीटी की आवाज तेज और स्पष्ट थी। चालक दल ने परीक्षण के दौरान ध्वनि और ब्रेकिंग सिस्टम को नहीं छुआ था। जब इंजन को लूप लाइन पर चलाया गया था तब 30 किमी प्रति घंटे की गति सीमा का परीक्षण किया गया। ‘कवच’ ने इंजन की 60 किमी प्रति घंटे की गति को स्वचालित रूप से 30 किमी प्रति घंटे तक कम कर लूप लाइन में प्रवेश किया।