फारबिसगंज /बिपुल विश्वास
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे फारबिसगंज के वार्ड संख्या 20 के कन्हैया सिंह के पुत्र मयंक सकुशल फारबिसगंज स्थित अपने घर पर पहुंचा।जहां उनसे मिलने के लिए रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का तांता लगा रहा।मयंक के सकुशल वापसी पर परिवार वालो के साथ रिश्तेदार और शुभचिंतकों ने राहत की सांस ली।फारबिसगंज विधायक विद्यासागर केशरी उर्फ मंचन केशरी भी मयंक से मिलने उनके आवास पहुँचे और कुशलक्षेम पूछा।हालांकि मयंक इंडियन एयरलाइंस के विमान से रविवार के शाम को ही दिल्ली पहुंच गया था।जहां से पटना पहुंचने के बाद आज फारबिसगंज अपने घर पर पहुंचा।सकुशल वापसी के लिए मयंक ने केन्द्र सरकार और बिहार सरकार के प्रति आभार प्रकट किया।

मयंक की सकुशल वापसी से परिवार वालों में खुशी है।रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन में बेटे के फंसे हाने के कारण पिता कन्हैया कुमार सिंह,मां रूबी सिंह,बहन अक्षरा सिंह,मनीषा सिंह,मौसी नम्रता सिंह,नानी डॉ मीरा सिंह,मामा अभिषेक कुमार सिंह,शंकर सिंह परेशान और चिंतित थे और घरों में लगातार पूजा अर्चना कर सकुशल घर वापसी को लेकर भगवान से प्रार्थना करते रहते थे और जब मयंक सकुशल लौट आया तो घर के लोगों ने राहत का चैन लिया।
घर पर बातचीत करते हुए मयंक चौहान ने बताया कि यूक्रेन स्थित इवानो फ्रंनकीव्स्क फोरेंसिक मेडिकल विश्वविद्यालय का प्रथम सत्र का छात्र है।युद्ध के बाद उनके शहर की स्थिति तो फिर भी ठीक थी,लेकिन मेलिटीपोल,ओदेसा,कीव,दोनेत्स्क आदि शहरों के हालात काफी खराब थे।उन्होंने बताया कि वेलोग हॉस्टल में ही ठहरे हुए थे।लेकिन मेलिटीपोल,ओदेसा,कीव,दोनेत्स्क आदि शहरों में बंकर बनाकर छात्र रह रहे हैं।बावजूद उसके सभी बच्चे अनहोनी की आशंका से डरे और सहमे हैं।उन्होंने बताया कि युद्ध के बाद इनलोगों ने भारतीय दूतावास से सम्पर्क किया,जहां से उनलोगों को किसी तरह रोमानिया बॉर्डर पहुंचने को कहा गया।जिसके बाद 40 छात्रों ने मिलकर एक बस किराये पर लिया और बस से रोमानिया बॉर्डर रक पहुंचा।लेकिन रोमानिया बॉर्डर से छह किलोमीटर पहले से काफी जाम था,जिसके बाद वेलोग पैदल बॉर्डर क्रॉस करते हुए रोमानिया पहुंचा।
12 घण्टे से अधिक समय तक लाइन में रहने के बाद बॉर्डर पार करने पर इमिग्रेशन में वीजा तक नहीं देखा गया और केवल पासपोर्ट देखकर प्रवेश करने दे दिया।जिसके बाद रोमानिया स्थित भारतीय दूतावास के पदाधिकारियो ने सभी को रिसीव करते हुए अपने साथ ले गये।जहां से फिर इंडियन एयरलाइंस के विमान से सभी को दिल्ली लाया गया।मयंक ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर के समय जब वेलोग लाइन में लगे थे तो उस समय वहां का तापमान 2 डिग्री था और उनलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।मयंक ने सकुशल वापसी के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के प्रति आभार प्रकट किया।उन्होंने भारतीय दूतावास में फोन करने पर सुधि लेने के साथ रोमानिया बॉर्डर तक किसी तरह पहुंचने के सलाह को सकारात्मक बताया।
मयंक के घर पहुंचने पर माता-पिता सहित परिवार वालों ने उसे गले से लगा लिया।नानी डॉ मीरा सिंह ने महाशिवरात्रि के दिन नाती के सकुशल वापसी पर इसे भगवान महादेव का कृपा करार दिया।वहीं मां रूबी सिंह ने चार दिनों से परेशान और भगवान से लगातार प्रार्थना करने की बात करते हुए कहा कि भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली और उसके बेटे को सकुशल पहुंचा दिया।उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकार को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया।
वहीं मयंक से मिलने वालों का घर पर आने वालों का तांता लगा रहा,जिसकी सुधि और आवभगत में मामा अभिषेक कुमार सिंह,शंकर सिंह सहित पिता कन्हैया कुमार सिंह लगे रहे।फारबिसगंज विधायक विद्यासागर केशरी उर्फ मंचन केशरी भी मयंक के घर सकुशल वापसी की सुन मिलने उनसे उनके घर पहुंचे और कुशलक्षेम जाना।उन्होंने कहा कि भारत सरकार सहित बिहार सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के सकुशल वापसी को लेकर सतत प्रयत्नशील है और उन्होंने जिले सहित प्रदेश और देश के फंसे बच्चों के वतन वापसी की आशा जताई।
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