खोरीबाड़ी :धूमधाम से मनाया जा रहा है चौरचन एवं गणेश चतुर्थी का त्यौहार

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खोरीबाड़ी/चंदन मंडल

शुक्रवार को गणेश चतुर्थी महोत्सव का खोरीबाड़ी , नक्सलबाड़ी व सीमावर्ती ठाकुरगंज , गलगलिया में शानदार आगाज हुआ। दिनभर गणपति बप्पा मोरेया के जयकारों से गूंजता रहा। सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में गणेश बाबा की विशेष पूजा अर्चना हुई। साथ ही विभिन्न जगहों में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और प्रसाद का वितरण किया गया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस संबंध में भक्त दिलीप बारोई ने कहा कि धार्मिक आयोजनों से भाईचारा बढ़ता है और युवाओं को संस्कारों की सीख मिलती है।

ये पर्व पूरे देश में ही बहुत धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें भक्त भगवान गणेश से आशीर्वाद लेने के लिए मंडलों में शामिल होते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में इस पर्व की रौनक देखने लायक होती है लेकिन कोरोना महामारी ने पर्व का रंग फीका कर दिया है।
शुक्रवार को पूरे देश के साथ साथ राज्य में गणेश चतुर्थी बड़े धूम धाम से मनाई गयी । सीमावर्ती इलाकों में गणेश चतुर्थी के साथ चौरचन पर्व भी मनाया जाता है।

इस पर्व में बड़े विधि विधान से चांद की पूजा की जाती है। शुक्रवार को पूरा देश में गणेश चतुर्थी की धूम रही । वहीं गणेश चतुर्थी के साथ साथ सीमावर्ती इलाकों के लोग चौठचंद्र भी मनाया गया ।

मालूम हो कि चौरचन ऐसा त्योहार जिसमें चांद की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। लोग चौठचंद्र को चौरचन भी कहते हैं। इसमें भी अधिकांश त्योहारों का नाता प्रकृति से जुड़ा होता है। छठ में जहां उगते और डूबते सर्य की उपासना की जाती है वहीं चौठचंद्र में लोग चांद की पूजा करते हैं।  

गणेश चतुर्थी की दिन मनाया जाता है चौठचंद

वैसे तो अधिकांश पर्व त्योहार किसी ने किसी रुप से प्रकृति से जुड़े होते हैं। चौठचंद्र भी प्रकृति से जुड़ा हुआ ही पर्व है। महिलाओं द्वारा इस पर्व को भी गणेश चतुर्थी के दिन मनाते हैं। इस पर्व में चांद की पूजा विधि विधान से की जाती है। 

महिलाएं करती हैं व्रत

चौठचंद्र के दिन मिथिला की महिलाएं पूरे दिन व्रत करती हैं। इसके साथ ही शाम को भगवान गणेश की पूजा के साथ चांद की विधि विधान से पूजा कर अपना व्रत तोड़ती हैं। चौठचंद्र पर्व के दौरान व्रती महिलाएं सूर्य के डूबने और चंद्रमा दिखने के दौरान कच्चे चावल को पीसकर रंगोली भी बनाती हैं। चौठचंद्र पर्व के दौरान घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को चढ़ाया जाता है।

क्या है पर्व के पीछे की कहानी

ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को भगवान गणेश ने शाप दिया था। इसको लेकर ये कहानी प्रचलित है कि चांद को अपनी सुंदरता पर घमंड था और चांद ने गणेश का उपहास (मजाक ) उड़ाया था। इससे क्रोधित होकर गणेश भगवान ने चांद को शाप दिया था कि जो भी इस दिन चांद को देखेगा उसे कलंक लगने की डर होगा। इस शाप से मुक्ति पाने के लिए भादो मास के चतुर्थी तिथि के दिन चांद ने भगवान गणेश की पूजा -अर्चना की। चांद को अपनी गलती का एहसास होने के बाद भगवान गणेश ने  कहा कि इस दिन चांद की पूजा के साथ जो मेरी पूजा करेगा उसे कलंक का भागी नहीं बनना पड़ेगा। इस मान्यता के बाद इस पर्व को लोग बड़े विधि विधान के साथ मनाते हैं। 

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खोरीबाड़ी :धूमधाम से मनाया जा रहा है चौरचन एवं गणेश चतुर्थी का त्यौहार

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