कटिहार/रितेश रंजन
कटिहार के फलका प्रखंड के रामनाकोल के जनताओं ने ये ठाना इस बार रोड नही तो वोट नही ,आज़ादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी बुनयादी सुविधाओ से मरहूम है ग्रामीण
जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही वेसे वेसे नेताओं ने बीते पाँच वर्ष किये अपने विकास की गिनती अपने भोले जनताओं को गिनाने भी सुरु कर दिया है।
सुशासन बाबू अपनी सरकार में विकास की लाख दावे भले ही करते नही थकते । लेकिन कटिहार जिले की फलका प्रखंड की इन तस्वीरों में सरकार की विकास की सारे दावे दम तोड़ती नजर आ रही है।

बतातें चलें कि… कटिहार जिले के फलका प्रखंड के कोलवा, एवं रामनाकोल,आदिवासी मोहल्ले में आजादी के बाद से अबतक बरण्डी नदी में ना ही पुल है और ना ही प्रखंड मुख्यालय तक आने जाने के लिए सड़कें चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी है।
इस गांव में ना तो सड़क है और ना ही नदी पार करने के लिए कोई पूल की व्यवस्था है, यहां के लोगों को आवागमन करने के लिए एकमात्र सहारा इस गांव में नाव है, और यहां के लोगों के लिए नदी पार करने के लिए कोई पूल की व्यवस्था है। यहां के लोगों को आवागमन करने के लिए एकमात्र सहारा नाव या बांस का बना चचरी पुल होता है। ग्रामीणों ने बताया कि बरंडी नदी में जब उफान होता है तो जनसहयोग से बनाए गए बांस का चचरी पुल भी ध्वस्त हो जाता है, तब उन लोगों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है लोगों ने बताया कि जान को जोखिम में डालकर वे लोग नाव पर आवागमन करने पर मजबूर है।

इस गांव में चार से पांच महीना पानी ही पानी रहता है। जिस कारण लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां के लोगों ने बताया कि चंदा इकट्ठा कर एक चचरी पुल हमलोगों ने बनाया था लेकिन पानी मे वह बह गया, अभी हम लोगों को गाँव से दूसरे गांव या फिर प्रखंड मुख्यालय जिला मुख्यालय आने जाने के लिए नाव पर सवार होकर जाना होता है।
इतना ही नही गाँव के बीचों बीच एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले तक जाने के लिए जो टूटी फूटी सड़क थी वह भी बाढ़ के पानी में टूटकर ध्वस्त हो गया … हालात ऐसा की जानवर से भी बत्तर जिंदगी जीनो को बेबस हैं। यहां से आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि अगर इस गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे ले जाने के लिए कोई छोटी या बड़ी वाहन इस गांव में नहीं आ सकती है।
बीमार पड़ जाने पर वे भगवान के भरोसे पर ही रहते हैं या फिर झोलाछाप डॉक्टरों से उनका इलाज किया जाता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को प्रसव हेतु अस्पताल ले जाने में यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन फिर भी इस ओर ना ही किसी नेता या स्थानीय प्रशासन की नजर इस ओर पड़ा जो बहुत दुख देने वाली बात है।
हालांकि… यहां के ग्रामीणों ने साफ तौर पर इस बार आगामी विधान सभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने की बात कही है। …… यहाँ के जनता की माने तो चुनाव के समय नेता जी यहाँ वोट मांगने आते हैं। चुनाव जीतने के बाद पूरी तरह से विलुप्त हो जाते हैं।