किशनगंज :आदिवासी टोले के ग्रामीणों ने लोक सभा चुनाव में वोट बहिष्कार का लिया निर्णय

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

पोठिया(किशनगंज) निशांत

प्रखंड अंतर्गत शीतलपुर पंचायत के पूरबडांगी आदिवासी टोले के ग्रामीणों ने मंगलवार को एक बैठक कर आगामी लोकसभा चुनाव में वोट के बहिष्कार का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने कहा कि इस गांव के लोग वर्षो से प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहे है। आदिवासी परिवार बासगीत पर्चा बनाने के लिए वर्ष 2021 से लगातार अंचल कार्यालय पोठिया में आवेदन देकर चक्कर लगा रहे है। लेकिन सिर्फ आश्वासन मिल रहा है।

वर्तमान सीओ पूनम पूनम दीक्षित को भी बीते 27 फरवरी को लोगों ने आवेदन दिया है। लेकिन अबतक किसी प्रकार की कार्रवाई अंचल कार्यालय से नही हुई। पूरबडांगी गांव का नेतृत्व कर रहे ग्रामीण बिशु मुर्मू ने कहा कि 110 से अधिक भूमिहीन आदिवासी परिवार के सदस्य वर्षो से इस गांव में घर बनाकर सपरिवार गुजर-बसर कर रहे है। मौजा शीतलपुर थाना नंबर 269 में पीपीएचटी के तहत रैयती जमीन पर एक सौ दस परिवारों के बासगीत पर्चा के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन दिया गया है।

लेकिन भूमिहीन आदिवासियों के आवेदन पर कार्रवाई नही की जा रही है। आगे बताया गया की अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कोई ना कोई बहाना बनाकर मामले को टाल देते है। प्रतिदिन लोग मजदूरी छोड़कर अंचल कार्यालय आते है। पूरबडांगी गांव के आदिवासी समुदाय के लोगों ने एक सुर में कहा कि चुनाव के पहले यदि यहां के ग्रामीणों को बासगीत पर्चा अंचल कार्यालय से नही मिलता है तो वे आगामी लोकसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार कर सम्बंधित पदाधिकारियों के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन करेंगे। मौके पर बिशु मुर्मू, जोहन सोरेन,सोम मरांडी,सुशील मरांडी,परितोष मरांडी,सिमोल मुर्मू,कालिदास हांसदा,लखन हेम्ब्रम,बरका बास्की,सुकु बास्की आदि मौजूद थे।

1987 के बाढ़ के बाद बसा शीतलपुर पूरबडांगी गांव

किशनगंज जिले में वर्ष 1987 के प्रलयंकारी बाढ़ से सैकड़ो लोगों के घर-मकान सहित खेती की भूमि महानंदा एवं कनकई नदी की धार में बह गया था। जिसके बाद स्थानीय लोगों का वहां से पलायन शुरू हुआ। ये सभी आदिवासी परिवार किशनगंज प्रखंड के महीनगांव,लक्खीमारू,गोबिंदपुर तथा दिघलबैंक प्रखंड के सिंघीमारी गांव में जीवनयापन करते थे। त्रासदी के बाद प्रशासन द्वारा इन्हें वासभूमि आवंटित नही कराई गयी और लोग पोठिया के शीतलपुर में आकर बस गए थे। तब से लेकर अबतक बासगीत पर्चा के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे है।

आदिवासी परिवारों की है प्रमुख मांग

वर्ष 2021 में तत्कालीन बीडीओ को आदिवासियों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन दिया था और मांग की गयी थी कि गांव में जलजमाव के कारण प्रत्येक वर्ष पानी मे डूबने से छोटे-छोटे बच्चों की मौत हो जाती है। इससे निजात दिलाने के लिए गांव की गलियों में पानी की निकासी के लिए कलभट निर्माण कराया जाय। मनरेगा योजना से गांव में मिट्टीकरण कार्य हो। सभी परिवारों को मनरेगा द्वारा जॉब कार्ड देने तथा रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाय। अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों को पढ़ने के लिए प्राथमिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण गांव के कराया जाय। सभी परिवारों को राशनकार्ड उपलब्ध कराने की मांग की गयी थी। लेकिन इस दिशा में किसी प्रकार की कार्रवाई नही हुई।

क्या कहती है सीओ-

इस सम्बंध में अंचल अधिकारी पूनम दीक्षित ने कहा की जांच का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

[the_ad id="71031"]

किशनगंज :आदिवासी टोले के ग्रामीणों ने लोक सभा चुनाव में वोट बहिष्कार का लिया निर्णय

error: Content is protected !!