उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ दोनों देशों के छठव्रतियों ने किया व्रत संपन्न, अर्घ्य की गवाह बनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंचनजंगा की चोटी

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

                         

किशनगंज/ गलगलिया/दिलशाद

भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित गलगलिया में नहाय खाय के साथ ही शुरू हुई भक्ति, उपासना एवं लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ सोमवार को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। इसी के साथ भारत-नेपाल के दोनों देशों के छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त हुआ। दोनों देशों के श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ भगवान भास्कर की आराधना की और अर्घ्य आर्पित किया। दोनों देशों के लोगों में छठ महापर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।

दोनों ओर के घाटों के इर्द-गिर्द का नजारा छठ मईया के गीतों से वातावरण गुंजायमान होता रहा। लोगों ने छठ मईया और भगवान भास्कर से सुख-समृद्धि की कामना की। भारत नेपाल सीमा के बीच प्रवाहित मेची नदी में बने छठ घाटों में पानी में खड़े होकर व्रतियों ने भगवान भास्कर की आराधना करते हुए अर्घ्य दिया। वहीं इससे पहले रविवार शाम को अस्तचलगमी सूर्य को अर्घ्य देकर भक्तों ने पूजा-अर्चना की।

छठ व्रतियों  ने संतान की रक्षा और घर-परिवार की समृद्धि की कामना के साथ सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले किशनगंज में सुबे में सबसे पहले सूर्योदय होता है। वहीं इस जिले के उत्तर की ओर दार्जिलिंग जिले की सीमा है यहीं बहने वाली मची नदी है। जिसके एक तट पर भारतीय व दूसरे तट पर नेपाली नागरिक लोक आस्था का महापर्व छठ मानते आ रहे हैं।

इसी क्रम में सोमवार की सुबह जब एक साथ लाखों हाथ सूर्य की आराधना के लिए उठे तो इसका गवाह किशनगंज जिले के उत्तर में स्थित विश्व की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत कंचनजंगा भी बना। इस कंचनजंगा पर्वत की ऊंचाई 8586 मीटर है और वह किशनगंज जिले से 179 किलोमीटर दूर है। वहीं मेची नदी के पूर्वी तट पर पश्चिम बंगाल और बिहार के दार्जिलिग एवं किशनगंज जिले के खोरीबाड़ी  प्रखंड की सीमा के दर्जनों गांव जैसे डांगुजोत, देवीगंज, सोनापिंडी, डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा, बैरागीजोत तथा बिहार के ठाकुरगंज प्रखंड के गलगलिया, भातगांव, बंदरबाड़ी, बाजारबस्ती आदि और पश्चिमी तट पर नेपाल के भद्रपुर, कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, बनियानी, धुलाबाड़ी, चंद्रगुडी आदि इलाकों के लोग बड़ी संख्या में दोनों देशों की सीमा पर एकसाथ मिलकर  भगवान भास्कर की उपासना करते हुए अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया। दोनों देशों के बीच प्रवाहित मेची नदी से लेकर गलगलिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाली लगभग सभी नदी में घाट बना कर छठव्रतियों ने आस्था के साथ डुबकी लगायी।

सुबह करीब 06 बजकर 10 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम आरंभ हो गया था। इसके बाद आस्था के महापर्व पर दोनों ओर के छठ व्रती व उनके स्वजनों द्वारा एक साथ मिलकर घंटों पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर का ध्यान करते हुए उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपने पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के साथ समाज व देश के हित की कामना की। वहीं इस मौके पर गलगलिया थानाध्यक्ष राहुल कुमार सहित पुलिस बल के जवानों ने पूरे क्षेत्र के सभी घाटों पर सतर्क निगरानी बनाए रखते हुए शांति पूर्ण रूप से छठ पूजा को संपन्न करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

[the_ad id="71031"]

उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ दोनों देशों के छठव्रतियों ने किया व्रत संपन्न, अर्घ्य की गवाह बनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंचनजंगा की चोटी

error: Content is protected !!