किशनगंज (दिघलबैंक) मो अजमल
दिघलबैंक प्रखंड में बिजली आपूर्ति पूरी तरह चरमरा गई है। मामूली बारिश के बाद बीते 20 घंटे से क्षेत्र अंधेरे में डूबा हुआ है। बिजली विभाग की निष्क्रियता, घटिया तकनीकी प्रबंधन और प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब यह समस्या सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि जनाक्रोश में बदलती जा रही है।
बिजली न होने से ना सिर्फ घरों में अंधेरा है, बल्कि व्यापार, शिक्षा और जनजीवन की गति भी थम सी गई है।
🗣️ वरिष्ठ पत्रकार विनोद आनंद ठाकुर ने तीखे आरोप लगाते हुए कहा:
“आखिर ऐसा क्या कारण है कि बिजली व्यवस्था नब्बे के दशक में लौट गई है? हल्की बारिश होते ही क्षेत्र की बिजली घंटों के लिए गायब हो जाती है, जबकि नेपाल और बंगाल में स्थितियाँ सामान्य रहती हैं। विभागीय अधिकारियों की शह पर ठेकेदार घटिया सामग्री का प्रयोग कर रहे हैं। गुणवत्ता की कोई जांच नहीं हो रही। मैं माननीय जिलाधिकारी एवं उच्चाधिकारियों से अपील करता हूँ कि इस गंभीर मामले पर तुरंत संज्ञान लें।”
मुखिया प्रतिनिधि गणेश कुमार सिंह ने जनता की चुनावी प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा:
“चुनाव के समय ‘मर्द नेता’ नहीं ढूंढा जाता, बल्कि जातिवाद और पैसों के बल पर मतदान होता है। फिर नतीजा भी वैसा ही होता है। ‘बोये बीज बबूल का, आम कहां से होय?’ यह समस्या अब प्रखंड स्तर की नहीं रही; इसका समाधान विधायक और सांसद स्तर से ही संभव है।”
स्थानीय दुकानदार सरवन कुमार, जो मिठाई की दुकान चलाते हैं, ने बताया:
“बिजली नहीं रहने से मेरी मिठाई और दूध सड़ गए। कोल्ड ड्रिंक ठंडा नहीं हो पा रहा। ग्राहक आकर बिना सामान लिए लौट जा रहे हैं। व्यापार पूरी तरह ठप है। रोज़ाना का नुकसान झेलना पड़ रहा है।”
पत्रकार मुरलीधर झा ने विभाग की अव्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा:
“बिजली विभाग की लगातार लापरवाही और अनियमितता के कारण दिघलबैंक क्षेत्र के लोग अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। व्यापार, वाहन संचालन और रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका बेहद नकारात्मक असर पड़ रहा है।”
शिक्षा पर भी असर पड़ा है।
स्थानीय शिक्षक अशोक कुमार ने कहा:
“बिजली नहीं रहने से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। लेकिन रात में रोशनी नहीं है और दिन में भी गर्मी से हाल बेहाल है। मोबाइल चार्ज तक नहीं हो पा रहा, जिससे ऑनलाइन क्लास और डिजिटल पढ़ाई भी बंद है।”
खबर लिखे जाने तक दिघलबैंक प्रखंड में बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि विभाग ने शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे जनआंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस बार केवल आश्वासन से बात नहीं बनेगी।