मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना :किशनगंज जिले के 02 वर्षीया बच्चे मानस को मिली निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा, हुआ सफल इलाज

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  • समय पर बीमारी की पहचान और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की बदौलत बच्ची ने हृदय रोग को दी मात
  • आरबीएसके टीम द्वारा बच्ची को चिह्नित कर कराया गया समुचित इलाज

किशनगंज /प्रतिनिधि


हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए जद्दोजहद का सामना नहीं करना पड़े और सुविधाजनक तरीके से समुचित और सफल इलाज हो सके, इस उद्देश्य से बिहार सरकार मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की शुरुआत की गई है । यह योजना ऐसे पीड़ित बच्चों के लिए काफी सहयोगात्मक साबित हो रही है। दरअसल, उक्त योजना के तहत ना केवल निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है बल्कि, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का सफल और समुचित इलाज भी हो रहा है। जिसका सकारात्मक परिणाम यह है कि लगातार ऐसे बच्चे हृदय रोग को मात भी दे रहे हैं। इसी कड़ी में जिले के बहादुरगंज प्रखंड के निवासी मनोहर कुमार रजक के 02 वर्षीया पुत्र मानस कुमार भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की बदौलत हृदय रोग को मात देने में सफल रहा । वह जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित था। यह सबकुछ सरकार की मजबूत और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बदौलत ही संभव हुआ। वहीं, सरकार द्वारा लाई गई उक्त योजना को सार्थक रूप देने के लिए जिले की आरबीएसके टीम जिले के हृदय रोग से पीड़ित अन्य बच्चों को भी चिह्नित पूरी तरह निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में अग्रसर है।

पहले निजी क्लीनिक में करायी जाँच, फिर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों का लिया सहारा :


मानस के पिता मनोहर रजक ने बताया, जब मेरा बेटे ठीक से चल नहीं पा रहा था और ना ही ढंग से खा पा रहा था तो मैं अपनी बच्ची को जाँच के लिए पहले एक निजी क्लीनिक ले गया, वहाँ डॉक्टर ने बताया कि बेटे के दिल में छेद है । यह सुनते ही मेरे होश उड़ गये। फिर कई अन्य निजी क्लीनिकों में भी हमलोग बेटे की जाँच करवायी , सभी जगह एक ही बात बताई गई और समुचित इलाज में लाखों का खर्च बताया गया। इतना व्यापक खर्च करने में हमलोग समर्थ नहीं थे । जिसके कारण इलाज की उम्मीद ही छोड़ दिए थे । इसी दौरान आस-पड़ोस के लोगों से एवं अखबार के माध्यम से जानकारी मिली कि ऐसे रोग से पीड़ित बच्चे का आरबीएसके टीम द्वारा मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत पूरी तरह निःशुल्क इलाज किया जाता है। ये जानकारी मिलते ही हमलोगों को उम्मीद की एक नई किरण मिली और मैं अपने बेटे को जाँच के लिए स्थानीय बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया । जहाँ से जिला अस्पताल भेजा गया। वहाँ जाँच के बाद स्क्रीनिंग के लिए एम्बुलेंस से पटना भेजा गया। स्क्रीनिंग के बाद पटना से हवाई जहाज से समुचित इलाज के लिए अहमदाबाद श्री सत्य -साईं अस्पताल भेजा गया। वहाँ मेरे बच्चे का समुचित इलाज हुआ।

इलाज के दौरान मिली बेहतर और समुचित सुविधाएं :


मानस के पिता मनोहर रजक ने बताया मेरे पास अपनी बच्चे का इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था। किन्तु, पर इस बीच आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की जानकारी मिली । इस योजना से मेरी बच्ची का इलाज शुरू हुआ और आज मेरे बच्चे हृदय रोग को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ है। इस दौरान मेरे बच्चे को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सुविधा मिली एवं आरबीएसके टीम का भी काफी सहयोग मिला।

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को स्क्रीनिंग के लिए भेजा जाता है पटना :


सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया, स्थानीय आरबीएसके टीम द्वारा हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की पहले पहचान की जाती है। इसके बाद स्क्रीनिंग यानी प्रारंभिक जाँच के लिए पटना भेजा जाता है, जहाँ इंदिरा गाँधी हृदय रोग संस्थान में बच्चों की समुचित जाँच की जाती है। जाँच में बीमारी की पुष्टि होने पर संबंधित बच्चे को समुचित व निःशुल्क इलाज के लिए अहमदाबाद के श्री सत्य साईं अस्पताल भेजा जाता है। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की बदौलत उनके परिवार पर आर्थिक दबाव नहीं पड़ा। यहां तक कि राज्य सरकार ने इलाज के साथ-साथ उनके आवागमन का भी खर्च उठाया। जिसके लिए उनका पूरा परिवार राज्य सरकार का शुक्रगुजार है। उल्लेखनीय है कि सरकार लाभार्थी बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च भी उठाती है। राज्य के बाहर के चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल/ निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रुपये है। वहीं, अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि 10,000 रुपये हैं । उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ ही वापस आते हैं।

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज जरूरी :


आरबीएसके टीम के जिला समन्वयक डॉ ब्रहमदेव शर्मा ने बताया, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका 03 सप्ताह से 03 माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका 06 से 18 माह एवं जिसके पैर टेढ़े-मेढ़े हैं , उसका 02 सप्ताह से 02 माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। वहीं, उन्होंने बताया, ऐसे पीड़ित बच्चों का इलाज के साथ-साथ आने-जाने का खर्च भी सरकार ही वहन करती है।

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मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना :किशनगंज जिले के 02 वर्षीया बच्चे मानस को मिली निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा, हुआ सफल इलाज

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