मवेशी ,कपड़ा , इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हो रही है तस्करी
खुली सीमा का लाभ उठा रहे है तस्कर
नक्सलबाड़ी/चंदन मंडल
भारत-नेपाल सीमा हमेशा काला कारोबार करने वालो के लिए स्वर्ग रहा है। चाहे मवेशी , कपड़े व अन्य सामान क्यों न हो खुली सीमा का लाभ उठाकर तस्कर आसानी से माल पार कर लेते हैं।
विशेष रूप से अभी मवेशी की तस्करी जोरो सोरों से हो रही है। जबकि कोरोना के कारण सीमा पर आवाजाही ठप है। इसके बावजूद भी सीमा पर सक्रिय कुख्यात तस्कर संगठित गिरोह बनाकर हर रोज लाखों रुपया के मवेशी की तस्करी करते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मवेशियों को नेपाल व अन्य जगहों से लाकर एक जगह इकट्ठा किया जाता है। फिर इकट्ठा किए गए मवेशियों को पश्चिम बंगाल का उत्तर दिनाजपुर समेत अन्य इलाकों में भेजा जाता है। यह जिला बांग्लादेश की सीमा से लगता है, जिससे यहां मवेशियों को रात्रि में बॉर्डर पार कराने में कोई दिक्कत नहीं होती है।
वहीं तस्करों के हौसले के आगे सीमा पर तैनात एसएसबी बौनी साबित हो रही है। ठाकुरगंज प्रखंड के नेगराडुब्बा व गलगलिया से सटे सूत्रों ने बताया की बंगाल अंतगर्त खोरीबाड़ी प्रखंड के रामधनजोत, कुक्कुराजोत व जुरलाजोत के बीच के रास्तों से रात्रि में भारी मात्रा में मवेशियों की तस्करी हो रही है।
जबकि बार्डर पर केंद्र एवं राज्य सरकार के सजग प्रहरी पूरी तरह से मुस्तैद है और यहाँ इनकी बगैर इजाजत के परिंदा भी पर नही मार सकता है। इसके बावजूद सीमा पर सक्रिय कुख्यात तस्कर इन दिनो मवेशी , इलैक्ट्रिक सामान सहित अन्य सामानो की तस्करी को अंजाम दे रहे है ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल के कपड़ा व्यापारी एक पोका (बोरा) कपड़ा को यदि भारतीय बाजारों से उठाकर तस्करी के जरिये नेपाल अपने गोदाम में मंगवाते हैं तो अवैध कारोबारी को उन्हें कम कैरिंग खर्च व कमीशन देना होता है। इसी कमीशन के लालच में कारोबारी ने सीमा शुल्क को छोड़ दिया और अवैध रास्तों से तस्करी का विकल्प चुना है।