किशनगंज/संवादाता
’21 वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार’ शीर्षक है पुस्तक
बिहार से सिर्फ तीन व्यंग्यकार हैं सम्मिलित
रेणु-अंचल’ / सीमांचल से डॉ. सजल प्रसाद हैं शामिल
बहुप्रतीक्षित '21वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार' शीर्षक पुस्तक का लोकार्पण विश्वविख्यात साहित्यकार पद्मश्री अशोक चक्रधर ने 151 वीं गाँधी जयंती के पुण्य अवसर पर वर्चुअल माध्यम से दिल्ली में किया।
इस ऐतिहासिक व्यंग्य कृति में बिहार के सिर्फ तीन व्यंग्यकार शामिल हैं, जिनमें 'रेणु-अंचल' / सीमांचल से एकमात्र व्यंग्यकार के रूप में मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सजल प्रसाद शामिल हैं। डॉ. सजल तीन दशकों से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और अबतक उनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

इस अवसर पर डॉ अशोक चक्रधर ने कहा कि व्यंग्य बहुत प्रभावशाली विधा है और यह समाज में व्याप्त विसंगतियों पर चुटीली अंदाज़ में चोट करता है। व्यंग्य और हास्य में बहुत अंतर है। हास्य तात्कालिक आनंद देता है, परंतु व्यंग्य लक्षित व्यक्ति या संस्था को ऐसा तिलमिला जरूर देता है कि वह सीधा प्रतिकार नहीं करता अपितु, मुस्कुराकर (मन या बेमन से) प्रहार स्वीकार करता है। व्यंग्य समाज को विसंगतियों का सुधार करने के लिए प्रेरित भी करता है। इसके अलावा व्यंग्य अन्य विधाओं में भी सहजता से संक्रमण करता है।साहित्य की किसी भी विधा में व्यंग्य प्रवेश कर सकता है।
डॉ चक्रधर ने युद्ध और कुश्ती का उदारहण देते हुए बताया कि व्यंग्य वस्तुतः कुश्ती का खेल है। जहां युद्ध का उद्देश्य व्यक्ति को समाप्त करना होता है, वहीं कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें सभी खिलाड़ी एक दूसरे की जय से खुश होते है। उन्होंने सम्पादक द्वय को और सभी शामिल लेखकों को भी बधाई दी और कहा कि संचयन अवश्य जन-जन तक पहुंचेगा और अपने उद्देश्य में कामयाब भी होगा।
इस ऐतिहासिक और संग्रहणीय संकलन के संपादकों में से एक प्रख्यात रचनाकार और समालोचक प्रोफेसर राजेश कुमार ने समाज के परिवर्तन और उत्थान की दिशा में व्यंग्य क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि व्यंग्यकार समाज में हमेशा उसके साथ खड़ा रहता है, जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
उन्होंने बताया कि व्यंग्य विधा सभी लेखकों की प्रिय विधा है और हर साहित्यकार किसी न किसी रूप में व्यंग्य का या तो विधा के स्तर पर या उपकरण के तौर पर अपने साहित्य में उपयोग करता है।
इस संकलन को साहित्य के क्षेत्र में एक उपलब्धि मानते हुए उन्होंने आगे कहा कि साहित्य का कार्य लोगों को आपस में जोड़ना होता है, और लोगों के दुख-दर्द और खुशियों को समेटते हुए उन्हें लोकोत्तर की ओर ले जाना होता है, ताकि वे अपने जीवन के उद्देश्य को समझकर उसे पूरा करने की दिशा में अग्रसर हो सकें।
संकलन के दूसरे संपादक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार और कवि श्री लालित्य ललित ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें व्यंग्य विधा में अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे साहित्य को पाठकों के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक और महत्वपूर्ण सेवा है और उन्होंने ऐसा करते हुए बहुत संतुष्टि और आनंद का अनुभव किया है. उन्होंने यह भी कहा कि साहित्यकारों को साथ लाने के ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे और इस तरह से हम पाठकों और साहित्य की सेवा में खुद को समर्पित रखेंगे।
इस वृहत संचयन के प्रकाशक व प्रलेक प्रकाशन समूह, मुम्बई, महाराष्ट्र के युवा निदेशक जितेंद्र पात्रो ने बताया कि संचयन में मध्य प्रदेश से 36, उत्तर प्रदेश से 22, राजस्थान से 16, राजधानी दिल्ली से 12, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से 10-10, उत्तराखंड से 4, हिमाचल प्रदेश और बिहार से 3-3, पंजाब और झारखंड से 2-2 तथा पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, चंडीगढ़, जम्मू, तमिलनाडु और तेलंगाना से 1-1 व्यंग्यकार सम्मिलित किए गए हैं। इसके साथ ही कनाडा से 3, तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से 1-1 व्यंग्यकार को संचयन में स्थान मिला है। लोकार्पण समारोह का संचालन चंद्रकांता ने किया।