कोरोना पर भारी आस्था  ?

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राजेश दुबे


देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है अभी तक इस बीमारी के उपचार हेतु कोई वैक्सीन नहीं निकली है । देश ही नहीं विदेशों में भी लगातार बीमारी से बचाव हेतु  वैक्सीन बनाने के लिए दवा कंपनियों के द्वारा परीक्षण किया जा रहा है ।लेकिन देश में एक तबका ऐसा भी है जो इसे आस्था के रूप में देखने लगा है और बीमारी से बचाव के लिए नदियों के किनारे पूजा अर्चना आरम्भ कर दी गई है ।

पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही है कि किसी के सपने में एक देवी आई और उन्होंने पूजा करने कहा और यह आश्वासन  भी दिया कि यदि नदी किनारे पूजा की जाए तो यह बीमारी समाप्त हो जाएगी ।हम किसी के आस्था पर सवाल खड़े नहीं करते क्योंकि विविधताओं से भरे इस देश में चमत्कार होते रहते है ।

आज ही एक मामला बिहार में  सामने आया जहा आंधी में गिर चुका पीपल का पेड़ दुबारा उठ खड़ा हुआ और उसकी टहनियों को काटने गए एक व्यक्ति को जोर दार झटका लगा और उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है ।हमारा उद्देश्य अंध विश्वास को भी बढ़ावा देना नहीं है क्योंकि दुनिया  साक्ष्य  पर चलतीं है और लोगो के अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण है । लेकिन यह भी सत्य है कि जहा विज्ञान फेल हो जाता है वहां धार्मिक मान्यताएं , परंपरा को शक्ति मिलती है ।अब महिलाओं द्वारा की जा रही पूजा अर्चना कितना सफल होता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन चंद महिलाओं द्वारा की जा रही कोरोना माई की पूजा का दायरा बढ़ने लगा है और बिहार से बंगाल सहित अन्य राज्यो तक पहुंच चुका है ।

कोरोना पर भारी आस्था  ?